Book Title: Param Jyoti Mahavir
Author(s): Dhanyakumar Jain
Publisher: Fulchand Zaverchand Godha Jain Granthmala Indore

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Page 363
________________ विहार स्थल नाम कोष ६४७ अङ्ग देश में ही चम्पा कयं (कचंगला ) - यह स्थान यदि से पूर्व की ओर हो तब तो श्राज कल का कंकजोल हो सकता है । परन्तु जैन सूत्रों के अनुसार कचंगला नगरी श्रावस्ती के समीप थी । श्रावस्ती - जैन सूत्रोक्त साढ़े पन्चीस श्रार्य देशों में कुणालनामक देश की राजधानी का नाम श्रावस्ती लिखा है । महावीर के समय में श्रावस्ती उत्तर कोशल की राजधानी थी। गोंडा जिले में अकौना से पूर्व पाँच मील और बलरामपुर से पश्चिम बारह मील राप्ती नदी के दक्षिण तट पर सहेठ मठ नाम से प्रख्यात जो स्थान है वही प्राचीन श्रावस्ती का अवशेष है, ऐसा शोधक विद्वानों ने निर्णय किया है। हलिदुग ग्राम - यह ग्राम श्रावस्ती से पूर्व परिसर में था । -- नंगला -- श्रावस्ती से राठ की ओर जाते हुये बीच में पड़ता था, संभवतः यह ग्राम कोशल भूमि के पूर्व प्रदेश में ही रहा होगा । श्रवत्ता ग्राम - यह ग्राम कहाँ था ? यह बताना कठिन है, अनुमान होता है कि कदाचित यह कोशल जनपद का ही कोई ग्राम होगा जो पूर्व की श्रोर जाते हुये मार्ग में पड़ता था । कलंबुका - यह अङ्गदेश के पूर्व प्रदेश में कहीं रहा होगा । आर्य भूमि - जैन सूत्रों में भारतवर्ष में श्रङ्ग, बङ्ग, कलिङ्ग, मगध काशी, कौशल, विदेह, वत्स, मत्स्य आदि साढ़े पच्चीस देश श्रार्य माने ये हैं और शेष नार्य । पूर्व में ताम्रलिप्ती, उत्तर में श्रावस्ती, दक्षिण - कौशाम्बी और पश्चिम में सिन्धुतक आर्य भूमि मानी गयी है । अनार्य देश - यह अनार्य भूमि पश्चिम बंगाल की शढ़ भूमि और वीर भोम श्रादि संथाल प्रदेश समझना चाहिये । .

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