Book Title: Pandav Purana athwa Jain Mahabharat
Author(s): Ghanshyamdas Nyayatirth
Publisher: Jain Sahitya Prakashak Samiti

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Page 11
________________ पृष्ठ पंक्ति २२८ २६ २३८ ८ २४१ ११ २४४ १५ २४४ २८ २४५ २ २५१ ९ তাহাতি माणिग्रहण आपने योजना अष्टमीष्टे राजोंको पुत्रष . और २५३ शुद्धि पाणिग्रहण अपने योजन अष्टमीके राजोंके पुरुष ओर दुर्योधनकी लिखे पाढवोंकी कृष्णसे स्वीकार करें और साथ ही तेरहवें वर्षको कहीं गुप्त वेषमें बितावें । करते कर्मकी चेष्टाको सकता विचारे वह कर्णकी लिख पाडवकी - कृष्ण स्वीकार करें २५८ ४ २६२ ४ २६४ २२ २६६ ५ २६६ २५ करते कर्मको चेष्टाकी सवता वचारे वहू विरुक्त विरक्त अखिर पुरुषों और आसिर पुरुष ओर चित्रांगद पूछी . चित्रांदग पूछा कोष काध जो अधिक मासका जो गुप्तवेषमें बिताना युधिष्ठिरने कहा युधिष्ठिरने कहा कि मैं धर्मोपदेशक पुरोहित कि मैं बनेगा । भीमने कहा कि मै वाले बोले

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