Book Title: Pandav Purana athwa Jain Mahabharat
Author(s): Ghanshyamdas Nyayatirth
Publisher: Jain Sahitya Prakashak Samiti

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Page 14
________________ पाण्डव-पुराण। जो बाल-पनमें ही कामदेव पर विजय-लाभ कर महावीर, अतिवीर, वीर और सन्मति आदि नामोंसे प्रसिद्ध हुए वे अन्तिम तीर्थकर वर्द्धमान स्वामी मेरी रक्षा करें। • चार ज्ञानोंके धारक गौतम नाम गणधरको नमस्कार है जो संघके अधिपति होनेसे गणनायक और गणेश कहे जाते हैं । तथा दिव्यवाणी द्वारा हमेशा तत्त्वोंकी गणना करते रहनेके कारण विद्वान् लोग जिन्हें वाचस्पति कहते हैं। वे प्रतिभाके पुंज मुझे प्रतिभा प्रदान करें। जो कर्म-शत्रुओंके साथ लड़ाई स्थिर वने रह कर आत्म-स्वरूपमें स्थिर (लीन ) हो चुके हैं वे परम पूज्य युधिष्ठिर मेरे मनोमन्दिरमें विराजें और धर्म अर्थकी सिद्धिमें मेरी सहाय करें। ___उन भीम महामुनिको मै याद करता हूँ जो कर्म-शत्रुओंको जीतनेमें भीमभयंकर योधा-धीरवीर और तेजवाले हैं। वे मेरे पापकाँको हरें। जो कामदेवसे रहित और कामदेवकी नाई सुन्दर रूपवाले हैं, संसारभसिद्ध और विशुद्ध परिणामी है वे आत्म-संयमी अर्जुन मुनि मेरे हृदयमें निवास करें। देवता-गण जिनकी सदा सेवा करते हैं तथा जिनका शासन निर्दोष है वे नकुल और कुलके कलंकको दूर करनेवाले सहदेव भी मेरे हृदयमें विराजें। उन भद्रबाहु श्रुतकेवलीकी जय हो जो महान तपस्वी और कल्याणके पुंज हैं और संसारी दीन-दुखी जीवोंको सहारा देनेके कारण जिन्हें महावाहु कहते हैं तथा जो इसी कलिकालमें ज्ञान-रूपी नौका पर सवार हो-श्रुतज्ञान सागरसे पार हुए हैं। वे मुझे ज्ञान-दान दें। जिनकी शिष्य-परम्परा संसार प्रसिद्ध है और जिन्हें सारा संसार हाथ जोड़ नमस्कार करता है वे स्वामी कार्तिकेय मुनि मेरी सहायता करें । ___ उन कुंदकुंद स्वामीकी जय हो जिन्होंने गिरनार पर्वतके शिखर पर पत्थरकी बनी हुई ब्राह्मी देवीसे यह साक्षी दिलवाई कि "दिगम्बर धर्म पहलेका है।" देवागमके जैसा महत्त्ववाला स्तोत्र वना कर जिन्होंने देव-आप्त-विषयके सिद्धान्तको खूब ही माँज डाला-सन्देह-रहित कर दिया-तथा जिनके सभी काम कल्याण-रूप हैं वे भारत-भूषण समन्तभद्र स्वामी सारे संसारको सुखी करें। पूज्य पुरुष भी जिनके पादों-चरणोंको पूजते हैं और इसी कारण जिनका " पूज्यपाद " नाम सार्थक है तथा जो न्याय-व्याकरण आदि अनेक शाखोंके पूर्ण सिद्धान्तको खूब व भारत-भूषण समन्तामाको पूजते हैं और इसनिक शास्त्रों के पूर्ण ..

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