Book Title: Pandav Purana athwa Jain Mahabharat Author(s): Ghanshyamdas Nyayatirth Publisher: Jain Sahitya Prakashak Samiti View full book textPage 9
________________ आवश्यकीय निवेदन। लगभग ३३) रु० मूल्यके ग्रंथ बिना मूल्य । उन सज्जनोंको हम अपनी चरितमालाके निम्न लिखित ग्रंथ, जो कि प्रकाशित हो चुके हैं और हो रहे हैं, बड़े आदरके साथ भेंट करेंगे; जो सिर्फ दो वर्षके लिए १००) रु० बतौर कर्जके हमें देंगे । इस अवधिके समाप्त होने पर उनका रुपया वापस कर दिया जावेगा । और सहानुभूतिके साथ उन्होंने जो हमारे काममें सहायता दी है उसके उपलक्षमें उन्हें लगभग ३३ ) मूल्यके १३ ग्रंथ भेंट किये जायेंगे । जो ग्रंथ तैयार हैं वे सहायताकी सूचना मिलते ही सेवामें भेज दिये जावेंगे और जो महान् ग्रंथ श्री पद्म-पुराण' संस्कृत सहित छप रहा है वह तैयार. होने पर भेजा जावेगा । यह भेंट सिर्फ ४० महाशयोंके लिए हैं। भेटके ग्रन्थ । १०) पद्मपुराण (छप रहा है) १) भक्तामरकथा ५) पाण्डवपुराण ॥) सुदर्शनचरित ३) पुण्यासव-कथाकोप 10) नागकुमारचरित २) नेमिपुराण ।) यशोधरचरित ११) सम्यक्त्वकौमुदी 1) पवनदूत . १) चन्द्रप्रभचरित । क) श्रेणिकचरित. -॥ सुकुमालचरित हमारे यहाँ सब प्रकारके जैनग्रंथ हर, समय विक्रयार्थ तैयार रहते हैं। हमारा नया सूचीपत्र छप कर तैयार है। उसे मॅगा कर देखिए । . 'निवेदक उदयलाल बिहारीलाल, मालिक-जैनसाहित्यप्रसारक कार्यालय ।Page Navigation
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