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[२६] सज्झाय
(१) कडवां फल छे क्रोधनां, (२) रे जीव ! मान न कीजिए, (३) समकितनुं मूल जाणीएजी, (४) तुमे लक्षण जो जो लोभनां रे !
(५) मद आठ महामुनि वारिये, [२७] छन्द तथा पद
(१) नित जपिये नवकार, (२) समरो मन्त्र भलो नवकार, (३) वीर जिणेसर केरो शिष्य, (४) आदिनाथ आदे जिनवर वन्दी, (५) पूरव पुण्य-उदय करी चेतन !
(६) आशा औरनकी क्या कीजे, [२८] आरतियाँ
(१) जय ! जय ! आरती आदि जिणंदा ! - (२) अपसरा करती आरती जिन आगे, [२६] मङ्गल-दीपक
(१) दीवो रे ! दीवो मंगलिक दीवो,
(२) चारो मंगल चार आज, [३०] छूटे बोल[३१] श्रावकके प्रतिदिन धारने योग्य १४ नियम. [३२] सत्रह प्रमार्जना
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