Book Title: Panchkappabhasam
Author(s): Labhsagar
Publisher: Agamoddharak Granthmala

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Page 274
________________ निशीथकल्पः जो रोए ओसण्णो इति एसो वणिओ चरणकप्पो / उववादकप्पमहुणा वोच्छामि जहक्कमेणं तु // 89 // चहिं ठाणेहिं वियहिऊण संविग्गसड्ढयाजुत्तो। अभुज्जतं विहारं उवेइ उववायकप्पो सो // 9 // उववयणं उववाओ पासत्थादी य पंच ठाणा तु / सुविविहं तु वट्टितो वियदिओ होति णायव्यो / संवेगसमावण्णो पच्छा उ उवेति उज्जयविहारं / एस उववायकप्पो णिसीहकप्पं अतो वोच्छं // 92 // पतुहा णिसीहकप्पो सद्दहणऽणुपालणा गहणसोही। सद्दहणा वि य दुविहा ओहणिसीहे विभागे य 93 मोहे त्ति हत्थकम्मं कुणमाणे रोगमूलिया दोसा। गेण्हणमादि विभागे अहवोघो होति उस्सग्गो 94 अववादो तु विभागो सव्वंऽतं तु सद्दहंतस्स / सहहणाए कप्पो होइ अकप्पो पुण इमो हु // 2295 / / मिच्छत्तस्सुदएणं ओसण्णविहारताए सद्दहणा / गणहरमेरं ओहं ण संदहती जो णिसीहं तुं 2296 ओसण्णाण विहारं सद्दहती सुविहिताण गणमेरं / ण तु सद्दहती जो खलु एस अकप्पो तु सद्दहणे 97

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