Book Title: Panchkappabhasam
Author(s): Labhsagar
Publisher: Agamoddharak Granthmala

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Page 284
________________ व्यवहारकल्पः [ 265] परिवार वुड्ढधम्मकह वादि खमए तहेव मित्ती / विज्जा राइणिया इढिगारवो अट्ठहा होति / / 2380 // एमादिगारवहिं अकोविया जे तु तत्थ भासेजा। ते वत्तव्वा इणमो ण तुज्झभागो इहं वोत्तुं // 2381 // बहुपरिवारो भण्णइ जयपरिवारेण हाज कजं तु / सद परिवारं देज्जसु वुड्ढो पुण भण्णई इणमो 2382 लोगेण जत्थ समयं ववहारगयं तु तत्थ होज्जाहि / तत्थ तुम जंपेज्जसु धम्मकही भण्णति इमं तु 2383 जहियं धम्मकहाएं कजं तहियं तुम भणेज्जासि / वादी जत्थ तु वादिप्पओयणं तत्थ भासेन्जा 2384 खमगो भण्णति इणमो देवयकजं जहिं भवेज्जाहि / असिवादिकारणेहिं तत्थ तुमं तं करेजासि // 2385 / / विजासिद्धो भण्णति विज्जाए जत्थ संघकजमि / कज्ज होज्ज करेज्जसु राइणिओ भण्णति इमं तु / / वेले कितिकम्मस्स उ अणुवताण वंदणं अम्हं / कुज्जाहि तुमं गंतुं इह पुण गीयस्स विसओ तु // ण हु गारवेण सका ववहरितुं संघमज्झयारंमि / मासेति अगीयस्थो अप्पाणं चेव गच्छं च // 23886

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