Book Title: Panchkappabhasam
Author(s): Labhsagar
Publisher: Agamoddharak Granthmala
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________________ कालकल्प: [ 275] उग्गममादीदोसा असेवमाणो वि सो तु आवण्णो / जम्हा दोसायतणं उरंमि थावेत्तु संवसति // 2470 // कत्थेयं भणियंति य भण्णति आयरिएण किमायारे। आयारपकप्पे तू आयारिं भवंतु आयारी // 2471 // जे भिक्खू णितियवासं वसइत्ती एत्थ भाणिय सुत्तमि। एवं पमाण उभये अतिरित्ते या वि जे दोसा 2472 जदि पुण बहिताहाणीतहिं वढि गुणाण तत्थ अच्छंति। के पुण गुणादि भणिता भण्णति णाणादिया होति // 2473 / / कालातीते दोसा दव्वक्खओ होति अच्छमाणाणं / तम्हा उ ण चिट्ठज्जा अतिरित्तं दुविहकालंमि // 2474 / / णियअणुकंपाए गिहिणं तो णाम ण वसहा तुम्भे। भण्णति ण होति एवं मा साधूणं चरणभेदो 2475 चोदेताहारादिसु सुज्झे तेसू वि णाम जं तीए / तत्य ण चिट्ठह तण्णामणिद्दयत्तेण गहियाणं 2476 / / मा पाविहिंति धम्म गिहिणो साहूण फासुदाणेणं / इय णिद्दयता अहवा इहलोगणुकंपता तेसिं // 2477 // मा दव्ववओ होही अणुवासे णिच्च साधुदाणणं / इय अणुकंपिहलोए भण्णति ण तु एवमादीहिं 2478
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