Book Title: Panchkappabhasam
Author(s): Labhsagar
Publisher: Agamoddharak Granthmala
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________________ [286] पञ्चकल्प-भाष्ये पण्णरसुग्गमदोसा दस एसणदोस एते पणुवीसं / संजोयणादि पंच य एते तीसं तु अवराहा / / 2968 / / एतेहिं दोसेहिं जदि असंपत्ति लग्गती तह वि / दिवसे दिवसे सो खलु कालातीते वसंतो तु 2565 वासावासपमाणं आयारे उप्पमाणितं कप्पं / एवं अणुम्मुयंतो जाणसु अणुवासकप्पं तु // 2570 / / आयारपकप्पंमी जह भणियं तीति संवसतो वि / होति अणुवासकप्पो तह संवसमाणऽदोसा तु 2071 दुबिहे विहारकाले वासावासे तहेव उडुबद्धे / मासातीते अणुवहिवासातीते भवे उवही // 2572 / / उडुबद्धिएसु अट्ठसुमासातीतसुं तत्थ वास ण तु कप्पे। घेत्तूणं उवही खलु वासातीतसु कप्पति तू // 2073 / / वासउडु अहालंदे इत्तिरि साहारणे पुहुत्ते य / उग्गह संकमणं वा अण्णोण्णसकासहिजते 2074 वासासु चउम्भासो उडुवः मासो लंद पंच दिणा। इत्तिरिओ रुक्खमूले वीसमणट्ठा ठिताणं तु // 2575!! साहारणा तु एते समठिताणं बहूण गच्छाणं / एक्केण परिग्गहिता सव्वे वोहित्तिया होति // 2056 / /
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