Book Title: Panchkappabhasam
Author(s): Labhsagar
Publisher: Agamoddharak Granthmala

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Page 313
________________ [ 294 / पञ्चकल्प-भाध्ये कह पुण ठाविज्जंते ते उ पमाणं तु तेसु ठाणसु / कुलगणसंधा थेरा भण्णति इणमो णिसामेहि 2640 इच्छाकारणिउत्तो पियधम्मो तिण्ह कोइ एन / सो होति तिगत्थेरो तिगचरित वियाणतो धीरो 2641 णातूण गुणसमिद्धं जोगंतु कुलादिथेरठाणस्स / कातूणिच्छाकारं कुलादिणो बेंति तो इणमो॥२६४२॥ तुले होह पमाणं कुलधेरा थेरठाणजोगं तु। एवं तु कुलादीहिं तिगथेरा तू ठविज्जति // 2643 // तिगचरितं जाणइ त्ति चरितं मज्जातर एगट्ठा / तं तु तहाविहि जाणवि तिण्हं पि.कुलादिठाणाणं // पासत्थोसण्ण-कुसीलठाणपरिरक्खती दुपक्ख वि। सो होति तिगत्थेरो तिगथेरगुणेहिं उवउत्तो // 1645 // पासत्थादीठाणे ण वदृती एस रक्खओ होति / अहवा सति सद्धाए पासत्थादी वि पालेति // 2646 // परिहुजंते रागादिरक्खिते साहुसाहुणि दुपक्खे। अहवा अप्पाण परे तिगथेरी संघथेरो तु // 2647 // एसो तु तिगत्थेरो तिगरगुणेहिं होति संपण्णो। अहुणा वीसुं वीसुं कुलादिथेरे पवक्खामि // 2648 // चरणकरणे समग्गो जो जत्थ जदा कुलप्पहाणो तु / सो होति कुलत्थेरो कुलचरितवियाणओ धीरो 2649

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