Book Title: Panchkappabhasam
Author(s): Labhsagar
Publisher: Agamoddharak Granthmala
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________________ [12] 174 174 174 176 176 177 177 जीवठिय अबुद्ध भेसंति चरित्तठिते सुएज्ज जीवट्टियऽबुद्ध भेसति चरितद्वित्ते मुएज्ज 16 सो 177 178 180 पावतेताई पकप्पो भायण कारणे तिगतिग सेज्जाओ दोसो असंविग्गावी उग्गमती अविकोवि पत्थणा पसत्थो भत्तेण उवकरणेणं णिरवेक्खो 180 13 180 18. पावंतेताई कप्पों भोयण कारण तिगंति सेज्जा तु दोसा असंविग्गादी उग्गमंती अपि कोवि पसत्थणोपसत्थो भत्तेणं उवकरणेण णिरवेक्खा रुक्खफलाई उद्दविडं अकप्पो हीरगादीयं काणिति 14 181 182 182 183 184 184 185 5 13 10 रुक्खफलाणं उद्दवियं पकप्पो 184 185 187 .. हीरगाया काणिवि 187 15
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