Book Title: Panchkappabhasam
Author(s): Labhsagar
Publisher: Agamoddharak Granthmala

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Page 324
________________ 1227 122. मासे उग्गहे छिण्णे 7 जाव 124 10 125 16 126 15 1276 127 17 128 2 1288 128 1288 128 17 129 14 मास उग्गहो तिविहो जाओ एवं अतिसेसिता भत्तट्ठाण उज्जतो जहुत्ताउत्तो एवं एन्नुणा ण जिंक्खंतो जुगपेहि ते * सोहणो विरोहो मरुगा जहलंभे भावजेयं तुलेता .. वाए तउसारामी त जो चंचलं तं विय जायावग विवेग एयं अतिसेसितो भत्तट्ठीणं उज्जुत्तो जहुत्तो साहू नूणं एत्तुणा णिक्खंतो जुगपेहाए साहुणो विरोही गुरुगो जहलंभ भावेजेवं 136 18 138 / 14 138 / 16 140 6 140 . 18 तुलेती वाइ तउसारामे न जो चंचलतं चिय जोयावग विवेगे .

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