Book Title: Panchkappabhasam
Author(s): Labhsagar
Publisher: Agamoddharak Granthmala
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________________ अनुशाकल्प [291 सव्वस्स वि कायव्वं णिच्छयओ किं कुलं व अकुलं वा काले सभावममत्ते गारवलज्जाए काहिंति // 2613 // एसऽणुपालणकप्पो अहुणाऽणुण्णातो गंदिसुत्तेहिं / सिद्धो अणुण्णकप्पो णवरेगट्ठाणि वोच्छामि 2614 किमणुण्ण कस्सऽणुण्णा केवतिकालं पवत्तियाऽणुण्णा। आयरियत्त सुतं वा अणुण्णव्वइ जं तु साऽणुण्णा // यस्स त्ति सीसस्स तु गुरुगुणजुत्तस्स होयऽणुण्णा उ। केवति काल पवित्ती आदिकरेणुसभसेणस्स 2616 एगट्टियाणि तीय उगोण्णाइं हवंति णामधेजाई। वीसं तु समासेणं वोच्छामि ताणिमाई तु // 2617 // अणुण्णा उण्णमणा णमण णामणि ठवणा पभाव णा वियारे। तदुभयहिय मजाता कप्पे मग्गे य . गाए य // 2618 // संगह संवर णिजर थिरकरणमछेद जीत वुढिपयं / पयपवरं चेव तहा वीस अणुण्णाए णामाई // 2619 / / अणुण्णवइत्तऽणुण्णा उण्णामिय ऊसियंति उण्णमणी गिहिसाधूहिं णमिजति तम्हा ऊ होति णमण त्ति // सुतधम्मचरणधम्मे णामयती जेण णामणी तम्हा / ठविओ आयरियत्ते जम्हा ऊ तेण ठवणं ति 2621
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