Book Title: Panchkappabhasam
Author(s): Labhsagar
Publisher: Agamoddharak Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 303
________________ [284 / पञ्चकल्प-भाष्ये जिण-थेर-अहालंदे परिहरिते अज मासकप्पो उ। खेत्ते कालमुवस्सयपिंडग्गहणे य णाणत्तं / / 2550 // एएसिं पंचण्ह वि अण्णोण्णस्स उ चतुपदेहिं तु / खेत्तादीहिं विसेसो जह तह वोच्छं समासेणं 2551 णत्थि उ खेत्तं जिणकप्पियाण उडुबद्ध मास कालो तु / वासासुं चउमासा वसही अममत्त अपरिकम्मा 52 पिंडो तु अलेव कडो गहणं तू एसणाहुबरिमाहिं / तत्थ वि काउमभिग्गह पंचण्ह अण्णतरियाए 53 // थेराण अस्थि खेत्तं तु उग्गहो जाव जोयण सकोस। णगरे पुण वसहीए विकाले उडुबद्धि मासोतु 2554 उस्सग्गेणं भणिओ अववाएणं तु होज अहिओ वि। एमेव य वासासु चि चतुमासो होज अहिओ वि // अममत्त अपरिकम्मो उवस्सओ एत्थ भंग चउरो उ / उस्सग्गेणं पढमो तिणि उ सेसाववादेणं // 2556 // भत्तं लेवकडं वाऽलेवकडं वा वि ते उ गिण्हंति / सत्तहि वि एसणाहिं सावेक्खो गच्छवासा त्ति 2557 अहलंदियाण गच्छे अप्पडिबद्धाण जह जिणाणं तु। णवरं कालविसेसो उडुवासे पणग चतुमासो 2558

Loading...

Page Navigation
1 ... 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332