Book Title: Panchkappabhasam
Author(s): Labhsagar
Publisher: Agamoddharak Granthmala

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Page 301
________________ [ 282] पञ्चकल्प-भाष्ये इति एसो लिंगकप्पो वोच्छं पडिसेवणाए कप्पं तु। जारिसयं सेविज्जति सुद्धमसुद्धं समासेणं // 2532 // गहणपरिभुजणाए णिव्वाघाते तहेव वाघाते। वाघाते दुयगहणं णिवाघाते य तियगहणं // 2533 // पडिसेवणा उ दुविहा गहणे परिभुंजणे य णायव्वा / एकेका वि य दुविहा णिव्याघाते य वाघाते // 2034 // वाघातंमी सुद्धं गेण्ह असुद्धं च एतंदुयगहणं / परिभुंजती वि एवं णिव्याघातमि वोच्छामि 2535 उग्गममादीसुद्धं गेण्हति परिभुजती य तियमेतं / अह को पुण वाघातो परूवणा तस्सिमा होति 2536 असिवे ओमोदरिए रायट्ठ भए व आगाढे / छक्कायद्गमुवादाय वाघाले णिवघाते य 1.2537 // सुद्धमसुद्धं व जहिं अहवा सच्चित्तमीसर्ग वा वि। एनसिं दोण्हं तू वाघाते गहण भोगे य / / 2538 / / णिव्वाघाए छह वि अचित्ताणं तु गहणकायाणं / गहिशस्ल य परि भोगो तस्सेव य होति कायव्यो 39 परिभोगे वाघातो गहिते पच्छा तु होज तं णातं / जह आहाकम्म ती ताहे य तयं ण परिभुंजे 2540

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