Book Title: Panchkappabhasam
Author(s): Labhsagar
Publisher: Agamoddharak Granthmala

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Page 304
________________ अणुवासनाकल्पः [285] गच्छे पडिबद्धाणं अहलंदाणं तु अह पुण विसेसो / उग्गहो जो तेसिं तू सो आयरियाण आभवति 2559 एगवसहीए पणगं छवीहीओ व गाम कुव्वंति / दिवसे दिवसे अण्णं अडंति वीहीइ णियमेणं 2560 परिहारविसुद्धीणं जहेव जिणकप्पियाण णवरं तु / आयंबिलं तु भत्तं गेण्हंती वासकप्पं च // 2561 // अजाण परिग्गहियाण उग्गहो जोतु सोतु आयरिए। काले दो दो मासा उडुबद्धे तासि कप्पो तु // 2562 // सेसं जह थेराणं पिंडो य उवस्सओ य तह तासिं। सो सव्वो वि य दुविहो जिणकप्पो थेरकप्पो य // जिणकप्पि-अहालंदी-परिहारविसुद्धियाण जिणकप्पो। थेराणं अजाण य बोधव्वो थेरकप्पो उ // 2564 // दुविहां य मासकप्पो जिणकप्पो चव थेरकप्पो य / णिरणुग्गहो जिणाणं घेराण अणुग्गहपवत्तो 2565 उडुवास कालतीते जिणकप्पीणं तु गुरुग गुरुगा य। होति दिणंमि दिणंमी थेराणं ते चिय लहूओ 2566 तीसं पदावराहे पुट्ठो अणुवासियं अणुवसंतो। जे जत्थ पदे दोसा ते तत्थयगो समावणे // 2567 //

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