Book Title: Panchkappabhasam
Author(s): Labhsagar
Publisher: Agamoddharak Granthmala
View full book text
________________ [ 276 ] पञ्चकल्प-भाष्ये मा होज चरणभेदो पुण्णातीतमि संवसंताणं / अतिचिरसंवासेणं सिणेहमादीहिं दोसेहिं // 2479 // एसो उ कालकप्पो एवं वक्खाणिओ समासणं / अहुणा हु उवहिकप्पं गुरूवदेसेण वोच्छामि 2480 उपगिण्हति उवकारं करेति उवहीयतेण उवही तु। किं कारणंतु उवही उद्दिसिओ भएणती सुणसु 2481 जीवाणऽणुग्गहट्ठा एवं खलु वण्णितो इहं तित्थे। कातूणऽणुग्गहपदं पडिणीयपदे अभावो तु // 2482 // रसयादणुकंपट्टा अगणीमादीण चेव रक्खट्ठा / असहूणऽणुकंपट्टा य उवहीगहणं जिणा बेंति // आह जहणुग्गहट्ठा वत्थादीगहण देसियं समये। तो असहूणं कम्हा थीपरिभोगोणऽणुण्णाओ 2483 भन्नति पवित्ति कम्हिऽवि कम्हिवि पुण होति अपवित्ती उ। संजमपडिणीयत्ता मेहुणमादीण णाऽणुण्णा // 2484 // नाणचरणठिताणं उवग्गहं कुणति णाणचरणाणं / आहार उवहिसेन्जा तेण उ उवाहित्तणं बेति // 2485 // जस्स पुणोवहिगहिता उवघायकरीतु तस्स उबघातो। कह उवघाय करेती अतिरित्त गहो य मुच्छा य 2486
Page Navigation
1 ... 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332