Book Title: Panchkappabhasam
Author(s): Labhsagar
Publisher: Agamoddharak Granthmala
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________________ { 272] पञ्चकल्प-भाष्ये दुयमादीगच्छाणं वेत्ते साहारणमि वसियव्वे / अप्पत्तिय पडिसेहताए मेरा इमा तत्थ // 2443 // अस्थि बहुवसभगामा कुदेसणगरोवमा सुहविहारा। बहुगच्छुबग्गहकरा सीमच्छे देण वसियव्वं // 2444 // आयरिय उवज्झाया दुहिं तिहिं सहिया तु पंचओ गच्छो। एव तु गच्छा तिणि उडुबद्धे संथरे जत्थ 2445 // वासासु तिचउजुना आयरिय उवज्झ सत्तओ गच्छो एव तु गच्छा तिणि तु वासामु संथरे जत्थ 2446 कालदुयंमि वि एवं जहण्णयं होति वासखेत्तं तु। बत्तीस तु सहस्सा गच्छो उकोस उसभम्मि 2447 बहुगच्छुश्चग्गहकरा एत्तियमेत्ताण जत्थ संथरणं / ऊणा अणुवग्गहिता सीमच्छेदं अतो वोच्छं 2448 तुभंडतो भह बाहिं तुज्झ सचित्तं ममेतरं वावि / आगंतुय पत्थव्वा थीपुरिसकुलेस्तु व विसेसो 2449 सेसे सकोसजायण मूलणिबंधे अणु-मुयंतेणं / मच्चित्ते अच्चित्ते भीस वियांदणकालंमि 2420 // सत्ती णिस्साहारणमि सूलवेत्तं अणुम्मुयंनेणं / होति सकोसं जोयण दिसविदिलाहुं तु सव्वत्तो।।
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