Book Title: Oswal Maha Sammelan Pratham Adhiveshan Ajmer Ki Report
Author(s): Rai Sahab Krushnalal Bafna
Publisher: Rai Sahab Krushnalal Bafna

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Page 14
________________ इस प्रकार से सम्मेलन के कार्य में प्रोत्साहन बढता गया। पत्र पत्रिकाओं द्वारा समाज के सब प्रान्त के लोग इस महान् कार्य की आवश्यकता अनुभव करते हुए अच्छी दिलचस्पी दिखाने लगे। अब केवल सभापति के स्थान को सुशोभित करने के लिये एक अनुभवी योग्य सजन के चुनाव की चिन्ता रहो। अपने समाज के कई प्रतिष्ठित पुरुषों से यह बीड़ा उठाने के लिये साग्रह निवेदन किया गया, लेकिन सफलता नहीं हुई। कोई भी यह भार ग्रहण करने के लिये तैयार नहीं हुए। बाब परणचंदजी नाहर समाज के एक प्रख्यात वयोवृद्ध विद्वान हैं। इनके नेतृत्व में सम्मेलन का कार्य करने के लिये कई स्थानों से सम्मतियां भी आई थीं और निवेदन करने पर आपने भी शारीरिक अशक्यता के कारण क्षमा मांगी। इस प्रकार से सब प्रयत्न निष्फल होते हुए देखकर बाबू दयालचंदजी साहेब ने पुनः श्रीमान् नाहरजी साहेब पर हो साग्रह दबाव डाला। अस्वस्थ रहने पर भी आपने समाज की सेवा को एक प्रधान कर्त्तव्य समझ कर अन्त में सभापति का इस दायित्वपूर्ण पद को ग्रहण करने की स्वीकृति भेजी। इस समाचार से सम्मेलन के कार्यकर्ताओं में काफी संतोष और उत्साह फैला। पश्चात् ताः २६-६-३२ को स्वागतकारिणी समिति की बैठक में सर्वसम्मति से श्रीमान् नाहरजी सभापति चुने गये। इस चुनाव का बिजली सा असर पड़ा। दूसरे दिन ताः २७-६-३२ को मंत्री की ओर से विज्ञप्ति नं. ७ प्रकाशित हुई। इसमें स्वागताध्यक्ष और सभापति के चुनाव को घोषणा के साथ स्वागत समिति के भिन्न भिन्न विभागों के मंत्रियों तथा पदाधिकारियों का उल्लं ख है। __ सम्मेलन की तारीख ज्यों २ नजदोक पहुंचती गई त्यों २ लोगों में उमंग बढता गया। स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने पर भो भोमान् नाहरजी ने रातदिन अनवरत परिश्रम कर अपना महत्वपूर्ण भाषण प्रस्तुत किया। किस कार्यक्रम का सहारा लेने पर सम्मेलन का कार्य सुचारु रूप से संचालित हो सकेगा, इस विषय की ओर उनका विशेष ध्यान था। यह बात उनके ध्यान में थी कि प्रथम अधिवेशन होने के कारण इस वार के अधिवेशन को ही पथप्रदर्शक का काम करना पड़ेगा। सामाजिक सुधारों के सम्बन्ध में जो रेखा निर्धारित होगी तथा जिस रीति नीति का सहारा लिया जायगा उसीके अनुसार भविष्य में कार्य होगा। आप जैसे विद्वान् और बहुदशी हैं, वैसेही गंम्भीर तथा कर्मठ भी। आप अपने प्रान्त के कई धार्मिक और सामाजिक उलझनों को सुलझाने में सफलता प्राप्त कर चुके थे। आप सुविख्यात इतिहासवेत्ता हैं। लगभग दो वर्ष पहले कलकत्ता के 'ओसवाल नवयुवक समिति' ने एक अभिनंदन पत्र देकर आपको सम्मानित किया था। आपके चुनाव से सारे समाज में तथा विशेष कर अजमेर को जनता में यथेष्ट सहानुभूति उत्पन्न हो गई । कार्यकुशल राय साहेब कृष्णलालजी बाफणा ने अतुल परिश्रम से सम्मेलन के लिये पुलिस मैदान में एक विशाल पंडाल बनवाने का काम आरम्भ कर दिया । ___ अधिवेशन का कार्य ताः १५-१०-३२ से शुरू होने का निश्चय हो चुका था। इसकारण यह निश्चय किया गया कि सभापतिजी कलकत्ते से १२-१०-३२ को रवाना होकर ताः १४-१०-३२ को अजमेर पहुंचेंगे और इस प्रकार एक दिन विश्राम कर सभा की Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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