Book Title: Oswal Maha Sammelan Pratham Adhiveshan Ajmer Ki Report
Author(s): Rai Sahab Krushnalal Bafna
Publisher: Rai Sahab Krushnalal Bafna

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Page 31
________________ पश्चात् वाकू गुलाबचन्दजी ढड्डा ने इस प्रस्ताबमें इस प्रकार सांसोधन पेश किया कि.४०.वर्ष की आयुकी जगह ४५ को आयुः हो और यदि स्त्री कन्याःया पागल हो तो उसमे रहते हुफ दूसरी स्त्रो के साथ भी शादी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि अभी समाज में ४० वर्ष से ज्यादे उम्र को शादियां बहुत होती हैं इस लिये यदि ४० वर्षकी आयु रखी जायगो तो प्रस्तावके अमल में आने में कई बाधायें उपस्थित होंगी। प्रारम्भिक कार्य के लिये यदि ४५ की उम्र रखी जाय तो अच्छा है। एक स्त्री के रहते हुए दूसरो से सादो नहीं करने की रुकावट केवल इसलिये को गई है. जिसमें निरर्थक कोई दो शादियां न करे और पहिली स्त्री का जोवन क्लशमय न हों जाय। बन्ध्या अथवा पागल होने को हालत में दूसरी शादी यदि की जाय तो हर्ज नहीं क्योंकि विवाह का मुख्य उद्देश्य सन्तानोत्पत्ति है। इस संशोधन को आगरा-निवासी बाबू वान्दमलजी कील ने समर्थन किया, परन्तु उपस्थित जनता ने इस संशोधन पर अप्रसन्नता प्रकट की। पश्चात् जयपुर-निवासी बाबू सिद्धराजजो ढड्डा ने जोरदार शब्दों में संशोधन का विरोध करते हुए कहा कि नवयुवक तो इस को भी नापसन्द करते हैं कि ४० वर्ष की आयवाले परुष १५ वर्ष की कन्यासे विवाह करे। यदि. ४० की आयवाले, कोई शादो करें तो उनके लिये विधवा से विवाह करना उचित हैं। विवाह के लिये ४५ वर्ष उम्र निर्णय करना वृद्धविवाह.की संख्या बढाना है। उन्होंने कहा कि यदि किसी स्त्री का पति सन्तानोत्पत्ति योग्य न हो अथवा पागल होत क्या उसे दसरे पति को आज्ञा दी जाती है? जब दी नहीं जाती तो पुरुषों को भी एक स्त्री को विद्यमानता.में किसी भी हालत में दूसरी शादी करने का अधिकार नहीं है। यह संशोधन. स्त्रो-जाति के पक्ष में बिलकुल अन्याय-युक्त है, अत: इसे अखोकार करना चाहिये। इसके पश्चात् बाबू गुलाबचन्दजी ढड्ढा ने मुसकराते हुए संशोधन को वापस लिया। मूल प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ। सातवां प्रस्ताव समाज के उत्थान के लिये शिक्षा प्रचार को अनिवार्य आवश्यकता को अनुभव करते हुए यह महा सम्मेलनः स्थिर करता है कि आवश्यकतानुसार जगह २ विद्यालय, पुस्तकालय, छात्रवृत्तियां, छात्र विकास तथा व्यायामशाला अति संस्थायें स्थापित की जांय तथा बालक और बालिकाओं के पढ़ने का यथोचित प्रबन्ध किया जाय। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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