Book Title: Oswal Maha Sammelan Pratham Adhiveshan Ajmer Ki Report
Author(s): Rai Sahab Krushnalal Bafna
Publisher: Rai Sahab Krushnalal Bafna

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Page 33
________________ [ २७ ] देकर आदर्श बनावे तथा युनिवर्सिटी कायम करे और बाल बच्चों की शिक्षा समाज में अनिवार्य कर दे क्योंकि शिक्षा ही सब उन्नति का मूल है, अतः समाज को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिये। __ धामन गांव वाले बाबू सुगनचन्दजी :लूणावत ने इसका समर्थन करते हुए , और आधुनिक शिक्षा की बुराइयां बताते हुए कहा कि प्रचलित शिक्षा प्रणाली को सुधारना चाहिये। खेद की बात है कि हमारे ओसवाल भाई स्वाभाविक तौर से कला कौशल को बुरा समझते हैं। जापान के बी० ए० पास किये हुए लोग हजामत बनाने के काम को बुरा नहीं समझते और अपने विद्या के विकाश से कुछ दिन तक नाई का काम कर फिर फोटोग्राफी का कार्य करने लगते हैं। पश्चात् खिलौने आदि बनाकर विदेशों से व्यापार सम्बन्धी लिखा पढ़ी करके आसानी से चार सौ, पांच सौ रुपया माहवार उपार्जन कर लेते हैं। हमारे ओसवाल बन्धु एक ही काम पर लगे रहते हैं और वह भी कला कौशल से पृथक काम पर। यह युग कला कौशल का है इस लिये इस पर विशेष ध्यान देना चाहिये। श्रीयुत स्वामी कृष्णचन्द्रजी अधिष्ठाता गुरुकुल पञ्चकूला, पंजाब वालों ने बालकों के सच्चरित्र बनाने पर ज्यादा जोर दिया और गुरुकुल के स्थापित करने का महत्व बतलाते हुए प्रस्ताव का समर्थन किया। प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ। आठवां प्रस्ताव इस महासम्मेलन के सम्मुख उपस्थित कर्तव्य और कार्यवाही का महत्व देखते हुए एक योग्य फण्ड की विशेष आवश्यकता है ताकी इसकी कार्यवाही स्थायी रूप से चलती रहे क्योंकि प्रान्तीय कार्य को स्मरण रखते हुए उसके लिये आवश्यकतानुसार आर्थिक सहायता प्रदान करना तथा कार्यकर्ताओं को सब प्रकार से मदद पहुंचाना जरूरी हैं। अतः यह सम्मेलन विशेष रूप से अनुरोध करता है कि सम्मेलन के प्रस्तावों को कार्य रूप में परिणत करने के लिये और कार्य की सफलता के लिये अपने समाज के भाईलोग इस फण्ड में यथाशक्ति सहायता प्रदान करें। . .. यह प्रस्ताव सभापतिजी की ओर से रखा गया और सम्मेलन के मन्त्री बाबू अक्षयसिंहजी डांगी ने इसे पढ़ कर सुनाया। पश्चात् बाबू गुलाबचन्दजी ढड्डा, बाबू दयालचन्दजी जौहरी तथा बाबू नथमलजी चोरड़िया ने जोरदार शब्दों में इसका अनुमोदन और समर्थन किया और अपने २ भाषणों Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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