Book Title: Oswal Maha Sammelan Pratham Adhiveshan Ajmer Ki Report
Author(s): Rai Sahab Krushnalal Bafna
Publisher: Rai Sahab Krushnalal Bafna

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Page 76
________________ [ ६६ ] अनेक भागों में विभाजित हो जाती है और किसी कार्य में पूरी सफलता नहीं मिलती । महासभा की प्रारम्भिक अवस्था में यह श्रेष्ठतर होगा कि हम लोग एक दो बातों को ले कर उन पर ही अपनी समस्त शक्ति केन्द्रीभूत कर दें और उन में सफलता प्राप्त होने पर आगे बढ़ें। यह ढङ्ग अधिक व्यावहारिक और उपयोगी सिद्ध होगा । अन्त में मैं समाज के नवयुवकों से प्रार्थना करूंगा कि वे इस जातीय महानुष्ठान को सफल बनावें । हमारे वयोवृद्ध भाइयों की परिपक्क बुद्धि, उनका विस्तृत अनुभव और ज्ञान हमारा सहायक होगा, हमारा पथ प्रदर्शक बनेगा, परन्तु वास्तविक कार्य केवल नवयुवकों के द्वारा ही सम्पन्न होगा। प्रत्येक जाति में, प्रत्येक सम्प्रदाय में, प्रत्येक समाज में और प्रत्येक देश में असली और ठोस कार्य नवयुवक ही करते आये हैं । नवयुवको! आप ही हमारी जाति और देश के भावी नेता हैं। हमारा समस्त उज्ज्वल भविष्य आप के ही दृढ़ कन्धों पर है। भगवान् महावीर ने जिस समय अपने दिव्य सन्देश से पृथ्वी को आलोकित किया था, उस समय उन की आयु क्या थी? जिस समय उन्हों ने अपने निर्मल धर्म का प्रचार आरम्भ किया था, उस समय रेल नहीं थी, तार नहीं थे, मोट नहीं थीं, वायुयान नहीं थे, छापाखाने और समाचार-पत्र भी नहीं थे। उस समय बङ्गाल से अजमेर तक पहुंचने में वर्षों लग जाते थे । इतनी सब कठिनाइयां होने पर भी उन्हों ने सौराष्ट्र से लेकर अङ्ग तक और पञ्जाब से लेकर सुदूर कलिंग और दक्षिण अनार्य देश तक समस्त भारतवर्ष को अपने दिव्य आलोक से आलोकित कर दिया था, और ऐसा आलोकित कर दिया था कि आज तक उन के प्रकाश से हमारे अन्तःकरण प्रकाशित हैं; उस प्रकाश को देख कर आज भी विदेशी विद्वानों की आंखें चकाचौंध में पड़ जाती हैं । अतः आजकल जब वायुयान के द्वारा केवल पन्द्रह घण्टे में कलकत्ते से अजमेर पहुंचा जा सकता है, जब बिजली के द्वारा केवल कुछ क्षणों में यहां का समाचार पाताल लोक अमेरिका तक पहुंच जाता है, जब हमें अन्य सहस्रों सुविधायें और साधन प्राप्त हैं, तब क्या आप अपनी जाति का संगठन नहीं कर सकते, क्या आप अपने समाज को अतीत के उस गौरव पूर्ण पद पर प्रतिष्ठित नहीं कर सकते ? कर सकते हैं अवश्य ही कर सकते हैं। अतः मैं एक बार पुनः अपने नवयुवकों और देवियों से अपील करता हूं कि आप भगवान का नाम लेकर दृढ़ सङ्कल्प से इधर ध्यान दें, ऋद्धि सिद्धियां आप की चेरी होंगी, सफलता आप की बाट जोह रही है । ॥ ॐ शान्तिः ॥ अजमेर सं० १९८६, कार्तिक यदि १ सन् १९३२ ई० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat पूरणचंद नाहर सभापति, प्रथम अधिवेशन श्रीअखिल भारतवर्षीय ओसवाल महासम्मेलन www.umaragyanbhandar.com

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