Book Title: Oswal Maha Sammelan Pratham Adhiveshan Ajmer Ki Report
Author(s): Rai Sahab Krushnalal Bafna
Publisher: Rai Sahab Krushnalal Bafna
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[ ३३ ] "प्रतिनिधियों, बहनों और भाइयों! ..
अखिल भारतवर्षीय ओसवाल महासम्मेलन का प्रथम अधिवेशन आप महानुभावों की सहायता से पूर्ण सफलता के साथ समाप्त हो गया है । आरम्भ में मुझे भय था कि मैं अध्यक्ष पद का उत्तरदायित्वपूर्ण गुरुभार वहन करने में समर्थ हो सकूगा या नहीं, किन्तु आप सब बहनों और भाइयों ने आदिसे अन्त तक बहुत सहायता की और मुझे नाम मात्र का भी कष्ट नहीं होने दिया। अतः मुझे पूर्ण आशा होती है कि आपलोग ऐसे सेवाव्रती ओसवाल भाई अपने समाज को उन्नति शिखर पर पहुंचा देंगे। आपलोग समाज के हित को ध्यान में रख कर दूर दूर से यहां पधारे हैं। जिस उत्साह, धैर्य, शान्ति और प्रेम से आप ने इस सम्मेलन में भाग लिया है उस की सराहना नहीं हो सकती। एकमात्र जाति के मङ्गल की कामना से आप लोगों ने सब प्रकार का सुख त्याग कर आनन्द पूर्वक यहां सब कष्ट सहा। प्रतिनिधि भाइयों! आप को जो कुछ कष्ट हुआ है उसके लिये क्षमा चाहता हूं तथा हृदय से शतसः धन्यवाद देता है। स्थान २ पर मेरा स्वागत कर के आप भाइयों ने मेरे प्रति प्रगाढ स्नेह का जो परिचय दिया है इस से मैं गद गद हो रहा हूं। इस शुद्ध प्रेम का क्या धन्यवाद हो सकता हैं ? महासम्मेलन के संचालकों को सदा यह चिन्ता रही की मुझे लेशमात्र भी क्लेश न हो। मुझे तो कुछ करना ही न पड़ा। श्रीमान् बाबू अक्षयसिंहजी डांगी मन्त्री महोदय तथा राय साहेब कृष्णलालजी बाफणा ने जिस त्याग और स्नेह से आत्म समर्पण कर मेरो सहायता की है इसके लिये मैं विशेष आभारी हैं। स्वागत-स के उपाध्यक्ष भाई सुगनचन्दजो नाहर, उतारा समिति के नायक श्रीयुत बाबू पन्नालालजी लोढ़ा ने जिस तत्परता, कुशलता और त्याग के साथ काम निबाहा है वह प्रशंसा के योग्य है। भोजन प्रबन्ध समिति के प्रमुख श्री भैरूलालजी हींगड़ ने हम सबों को सुस्वाद भोजन से तृप्त किया है। श्रीमान् सेठ रामलालजी ललवाणी, बाबू दयालचन्दजी जौहरी. सेठ सौभाग्यमलजी मेहता, श्रीमान् राममलजी लुणिया, श्रीयुत माणकवन्दजी बांठिया, श्रीमान् हरीवन्दजी धाड़ीवाल, श्रीयुत जवाहिरमलजो लुणिया, बाबू धनकरणजी चोरडिया आदि सजनों तथा स्वयंसेवकों को मैं हार्दिक धन्यवाद देता हूं। आप लोगों ने अपनी सारी शक्ति लगा कर इस महासम्मेलन को सफल बनाया है। इन के अतिरिक्त श्रीमान् बाबू गुलाव चन्दजी ढड्डा, बाबू पूरणचन्दजी सामसुखा, सेठ कानमलजी लोढ़ा और सेठ फूलचंदजी भावक का भी विशेष आभार मानता हूं।
. सजनों! हमें उन जाति हितैषी भाइयों को भी न भूलना चाहिये जो इच्छा रहते हुए भी कई कारण वश यहां नहीं पधार सके हैं लेकिन जिन्होंने अपने सहानुभूति सूचक पत्रों और तारों द्वारा हमें प्रोत्साहन दिया है कि वे लोग हमारे साथ हैं। अन्त में मैं आप सब लोगों का आभार मानता हूं और सर्व शक्तिमान परमात्मा से प्रार्थना करता हूं कि वह हमारी जाति का भविष्य उज्ज्वल बनायें और हम को बल दें कि हम इस कार्य में जी जान से लग जांय, ऐसा सम्मेलन होता रहे और दूर २ के भाइयों से मिलने का सुअवसर प्राप्त करते रहें।"
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