Book Title: Oswal Maha Sammelan Pratham Adhiveshan Ajmer Ki Report
Author(s): Rai Sahab Krushnalal Bafna
Publisher: Rai Sahab Krushnalal Bafna

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Page 37
________________ [ ३१ तरक्की देने के लिये यह सम्मेलन हादि अनुक वाला कि समाज का प्रत्येक व्यक्ति व्यक्तिगत तथा सामुहिक रूपमा कार्य में स्वदेशी वस्तु का ही प्रयोग करें। यह प्रस्ताव सभापतिजी की ओर से सेठ कानमलजी लोढ़ा अजमेर वालोंने पेश किया और सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ। आमंत्रण इस प्रकार सम्मेलन के अधिवेशन का कार्य सफलतापूर्वक समाप्त होने पर अहमदनगर-निवासी श्री कुन्दनमलजी फिरोदिया ने आगामी वर्ष सम्मेलन को बम्बई प्रान्त में आमन्त्रण करने के लिये योग्य शब्दों में उपस्थित सजनों से निवेदन किया और स्वागताध्यक्ष श्रीराजमलजी ललवाणी ने इसका अनुमोदन किया। तदनन्तर बेतूल-निवासी श्रीयुत दीपचंदजी गोठो ने बरार प्रान्त के लिये सम्मेलन को निमंत्रण करते हुए कहा कि वह प्रदेश और २ प्रान्तों से बहुत पिछड़ा हुआ है, इस कारण अधिवेशन प्रथम सी० पी० बरार प्रान्त में होना ही अधिक लाभ दायक है। सभापतिजी और उपस्थित सज्जनों में अब यह समस्या उपस्थित हुई कि किस प्रान्त का निमन्त्रण प्रथम स्वीकार करना चाहिये। पश्चात् यह निश्चय हुआ कि बम्बई प्रान्त में सम्मेलन होने के उपरान्त दूसरे वर्ष सी० पी० बरार में होना उचित होगा। उपस्थित समस्त सजनों ने इस घोषणा का करतलध्वनि से स्वागत किया। धन्यवाद सम्मेलन की कार्यवाही के अन्त में सभापति से लेकर समस्त कार्यकर्ताओं और उपस्थित सजनों को धन्यवाद देने का कार्य आरम्भ हुआ। वयोवृद्ध श्रीगुलाबचन्दजी डड्ढा ने अपने गंभीर शब्दों में समस्त पदाधिकारियों के कार्यों की प्रशंसा की और कहा कि सम्मेलन की ओर से अद्यावधि जो साहित्य प्रकाशित हुए हैं उन सब विषयों में कुछ मतभेद रहने पर भी इस ओसवाल महासम्मेलन का कार्य थोड़े ही समय में बहुत अच्छे ढङ्ग से हुआ। इस कार्य में राय साहब कृष्णलालजी बाफणा का अतुल परिश्रम सर्वथा प्रसशंनीय है। सम्मेलन के कार्य में शक्ति संचारित करने में प्रोत्साहन देनेवाले एक और छिपे रुस्तम हैं और वह हैं आगरा-निवासी बाबू दयालचन्दजी जौहरो। हंसते २ उन्होंने कहा कि आप और राय साहब दोनों सजन एक पांव से लड़े हैं और ये लोग कहते हैं कि उन लोगों की इस कमी के कारण विशेष कार्य नहीं कर सके लेकिन मैं समझता हूं कि अगर समाज को ऐसे २ दो चार लङ्गड़े और मिल जायं तो इस का निश्चय ही कल्याण हो जाय। पश्चात् उन्होंने प्रतिनिधियों, स्वयंसेवकों तथा और २ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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