Book Title: Oswal Maha Sammelan Pratham Adhiveshan Ajmer Ki Report
Author(s): Rai Sahab Krushnalal Bafna
Publisher: Rai Sahab Krushnalal Bafna

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Page 47
________________ [ ३६ ] प्रबल भावना हम लोगों के हृदय में उत्पन्न हुई और अपनी कमजोरियों को कोई परवाह नं. कर आप लोगों को यहां निमन्त्रित करने का साहस हम लोगों ने किया। हमारा निमंत्रण स्वीकार कर आपने यहां पधारने की जो असीम कृपा दिखलायी है, उसके लिये आपको जितना धन्यवाद दिया जाय, थोड़ा है । सज्जनों! यह संगठन का युग है। कलियुग में संघशक्ति ही सबसे बड़ी शक्ति बतलाई गयी है । हमारी आंखों के सामने ही अनेक समाज अपना संगठन कर उन्नति की ओर अग्रसर हो रहे हैं। बहुत दिनों से ओसवाल समाज के भो अनेक उत्साही व्यक्ति समाजिक सम्मेलन करने की बात सोच रहे थे । यत्र तत्र इसके लिये उद्योग भी होता था । हम लोग भी समय पर इस सम्बन्ध में परामर्श कर लिया करते थे। कई वार सम्मेलन के अधिवेशन करने की भावना प्रबल हो जाती थी। सोचते थे कि और कोई लाभ हो या न हो, समाज के शुभचिन्तकों में हम लोगों का भी यही लाभ क्या कम हैं ? कहने का तात्पर्य यह है कि सम्मेलन करने के लिये प्रोत्साहित ही होते जाते थे । व्यवहारिक रूप देनेके लिये कटिबद्ध हो गये और उसीके कृतकृत्य हो रहे हैं । शुमार होने लगेगा । इस ज़माने में किसी न किसी प्रकार हम लोग अन्तमें हम लोग अपने विचार को फलं स्वरूप आपका दर्शन कर हम भिन्न भिन्न स्थानोंके भाइयों को हम लोगों ने अपने विचारों से सूचित किया और प्रसन्नता की बात है कि प्रायः सभी स्थानों से आशापूर्ण सम्मतियां आई। इन सम्मतियों से प्रोत्साहित होकर हम लोगों ने स्वागत समिति की रचना की और अधिवेशन की तैयारी. आरम्भ हो गई । संगठन के मंडल तथा मैं पहले ही निवेदन कर चुका हूं कि यह युग द्वारा ही यह शक्ति प्राप्त हो सकती है, लेकिन कुछ लोग ऐसे सम्मेलन आदि से बेतरह घबरा गये हैं । उन की घवराहट अनेक स्थानों पर देखा गया है कि कार्यकर्त्ताओं की कारण संस्थाओं के द्वारा लाभ के बदले हानि हुई है तथा संस्थाओं की उपयोगिता अस्वीकार नहीं की जा उपयोग पर निर्भर करता है। उदाहरण स्वरूप तलवार को ही लीजिये । तलवार के द्वारा संघशक्ति का है। भी हैं जो संघ, सर्वथा निराधार नहीं है । अकर्मण्यता तथा पारस्परिक द्वेष के । लेकिन इस आधार पर सम्मेलनों सकती है। किसी भी वस्तु का गुण मनुष्य शत्रुओं तथा हिंसक पशुओं से अपनी रक्षा करता है, लेकिन उसी तलवार के द्वारा वह आत्महत्या भी कर सकता है । शक्ति वही है, गुण वही है, परन्तु उपयोगिता में भिन्नता होने के कारण उस के गुण का रूप ही विकृत हो गया । जिस के द्वारा रक्षा होती थी उसी के द्वारा विनाश हुआ । संस्थाओं के सम्बन्ध में भो यही बात लागू है । सज्जनों! आरम्भ में ही मैं आप को बतला देना चाहता हूं कि आप को अपने सम्मेलन का अधिक से अधिक सदुपयोग करना चाहिये । यदि आप पूरी शक्ति तथा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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