Book Title: Oswal Maha Sammelan Pratham Adhiveshan Ajmer Ki Report
Author(s): Rai Sahab Krushnalal Bafna
Publisher: Rai Sahab Krushnalal Bafna
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हुए हैं। जिस दिन हम इस गुणराशिनाशी दोष को अपने समाज से हटाने में समर्थ होंगे उसी दिन बड़ी से बड़ी बाधायें भी हमारी उन्नति को नहीं रोक सकेंगी। वर्तमान युग में शिक्षा के बिना कोई भी कार्य सफलतापूर्वक नहीं किया जा सकता। क्या व्यापार, क्या उद्योग-धन्धा, क्या धर्म और क्या कर्म, सब शिक्षा पर निर्भर है। इसलिये मैं जोर देकर आप से निवेदन करूंगा कि इस ओर आप प्रचंड परिश्रम करें। समान के कुछ वयोवृद्ध सजनों का विचार है कि आधुनिक शिक्षा, आचार और व्यवहार को निय देती है। कुछ अंश में यह आपत्ति सत्य भी हो सकती है, किन्तु इस में शिक्षा या विद्या का दोष नहीं है। इस में विशेष शिक्षा-प्रणाली का दोष है। इस दोष को दूर करना, शिक्षा को वास्तव में उपयोगी बनाना हमारा काम है। यदि हम अपने बालबच्चों को बचपन से ही इस प्रकार की शिक्षा दें जिन से उन में सदाचार की वृद्धि हो, उन का चरित्र दृढ़ हो, उन में स्वधर्म और अच्छाई बुराई को पहचानने की बुद्धि उत्पन्न हो, साथ ही वे समाज के प्रति, देश के प्रति और अपने प्रति अपने कर्तव्यों को समझ सकें तो वे आधुनिक शिक्षा की बुराइयों से ग्रसित होने नहीं पायेंगे। संसार में जितनी जातियां उन्नति के शिखर पर चढ़ी हैं, वे अपने नवशिशुओं को उचित शिक्षा देकर ही इस गौरवपूर्ण पद पर पहुंच सकी हैं। हम लोगों को भी अपने बालकों को आरम्भ से ही उपयुक्त शिक्षा देनी चाहिये। इस कार्य के लिये शहर शहर में, ग्राम ग्राम में छोटी ही क्यों न हो, पाठशालायें मदरसे आधिखोलने चाहिये। विद्यादान से बढ़ कर कोई भी दान नहीं है। मैं अपने उन सब भाइयों से जो इस योग्य हैं, जोरदार अपील करता हूँ कि अपने प्रांत में कम से कम एक विद्यालय जिस में उच्च शिक्षा का प्रबन्ध हो, खोलने में सहायता दें।
___ हमारी सन्तान हमारी जाति के आदर्श विद्वानों और नेताओं की देखरेख में धार्मिक और लौकिक दोनों प्रकार की शिक्षाएं प्राप्त कर सकें, इस के लिये एक केन्द्रीय शिक्षण संस्था होनी चाहिये। हमारी जातीय संस्था हो यह काम कर सकती है। जिस प्रकार 'क्षत्रिय कालेज,' 'कान्यकुब्ज कालेज' 'ऐङ्गलो-वैदिक कालेज' आदि विद्यालय अपनी अपनी जाति और धर्म की उन्नति के लिये स्थापित किये गये हैं वैसा ही एक उत्तम कालेज क्या हमारा समाज नहीं खोल सकता? यदि हमारे नेता सच्चे हृदय से इस काम में तत्पर हो जाय तो वे बात की बात में एक उच्च कोटि का आदर्श जातीय कालेज खडा कर सकते हैं। वर्तमान विकट समय को देखते हुए और अपनी जाति की उन्नति को ध्यान में रख कर मेरा तो उन से करवद्ध यह नम्र निवेदन है कि वे इस महत् कार्य की साधना में जुट जाय। बिना उच्च शिक्षा के कोई भी जाति कदापि उन्नति नहीं कर सकती। हमारे समाज के जो नवयुक्क उच्च शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं, उन्हें यह काम सम्भालना चाहिये। और हमारे धनियों को मुक्त हस्त हो कर इस सदनुष्ठान में दान करना चाहिये। इस कालेज में आर्यसभ्यता और संस्कृति के अनुसार नव्यतम ज्ञान का अध्यापन हो। इस कालेज के साथ हमारा जो जातीय स्कूल होगा वह सुकुमार बालकों को सच्चरित्र बनाने में
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