Book Title: Oswal Maha Sammelan Pratham Adhiveshan Ajmer Ki Report
Author(s): Rai Sahab Krushnalal Bafna
Publisher: Rai Sahab Krushnalal Bafna

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Page 17
________________ [ ११ ] इस के पश्चात् राय साहेब कृष्णलालजी बाफणा ने सभापति के चुनाव का प्रस्ताव इन शब्दों में किया: संसार के सब जातियों में, सब प्राणियों में एक सरपरस्त होता है जो उन्हें रक्षा करता है और रास्ता बतलाता है। मक्खियों में जैसे Queen Bee, हाथियों में अगुला हाथो, बन्दरों में टोले का सरदार, इसो तरह सब जन समूहों में एक न एक सरदार की आवश्यकता रहती है। बिना मुखिया के समाज संगठित नहीं होता लेकिन समाज के मुखिया में ये गुण होने चाहिये कि वह विद्वान् हो, अनुभवो हो, साहसी हो, कर्तव्यपरायण हो तथा कर्मशील वा शुद्ध आचरणवाला हो। धनवान वा सत्तावान की जरूरत नहीं क्योंकि धन विद्वान् वा सत्तावालों के सामने कोई वकत नहीं रखता। मामूली राज्य कर्मचारी एक बड़े साहुकार को उठा बिठा सकता है। जिसने बारूद की बन्दूक निकालो वा मेगजीन बनानेवाला अपने शस्त्र से कोटाधिपति का दिल हिला सकता है। विद्या के एक चमत्कार से करोड़ों रुपये की सम्पत्ति हो सकती है। Ford को बनानेवाला एडीसन उसके ज्वलन्त उदाहरण हैं। जो गुण मुखिया में होना चाहिये वह सब हमारे मनोनीत प्रमुख साहेब बाबू पूरणचंदजी नाहर में विद्यमान है। विद्या में आप एम० ए०, बी० एल० हैं, आप का अनुभव आप की रचित किताबोंसे प्रख्यात है। आपकी विद्वता आपके ऐतिहासिक अनुसन्धान तथा आप के कई युनीवर्सिटियों के मेम्बर होने से प्रकट है; कर्त्तव्यपरायणता वा जाति-प्रेम आपका इसी से सिद्ध है कि अपने घर में दूसरे लड़के की बहू की मृत्यु होने पर जिसको पांच दिन ही हुए हैं वा स्वयं इनफ्लुञ्जा बुखार में मबतिला रहते हए जिससे आपका स्वास्थ्य बिलकल हिलने डलने के लायक भी नहीं है, आप वचन को पालते हुए जाति सेवा के निमित्त कलकत्ते से बड़े लम्बे सफर में सब तरह के कष्ट सहकर यहां पधारे हैं, इसलिये हमारा सौभाग्य है कि श्रीमान बाबू पूरणचंदजी नाहर से प्रार्थना करें कि वे इस सम्मेलन के प्रधान पद को ग्रहण कर सम्मेलन के कार्य का संचालन करें। सुप्रसिद्ध घाबू गुलाबचंदजो ढड्डा ने सभापतिजी के दिव्य जीवन पर अधिक प्रकाश डाला और सुयोग्य शब्दों में राय साहेब के प्रस्ताव का अनुमोदन किया। पश्चात् आगरा-निवासी बाबू दयालचंदजी जौहरी तथा सिकन्दराबाद वाले बाबू जवाहरलालजी ने सभापतिजी की योग्यता और जीवनपर और भी प्रकाश डालते हुए प्रस्ताव का समर्थन किया। इसके पश्चात् करतलध्वनि के साथ बाबू पूरणचन्दजी नाहर ने सभापति का आसन ग्रहण किया। रीयांवाले सेठ प्यारेलालजी की कन्या श्रीमती माणकबाई ने कुकुम से सभापतिजी को तिलक करके हार पहनाया और ओसवाल बालकों की मंडली ने सुन्दर भजन गाया। तद्पश्चात् सभापति महोदय ने प्रार्थना के बाद भाषण आरम्भ कर के, सर्दी और ज्वर के प्रकोप से कंठस्वर रुद्ध रहने के कारण अपने सुयोग्य दौहित्र बाबू इंद्रचंदजी सुचंती को अपना भाषण पढ़कर सुनाने का आदेश दिया और बाबू इंद्रचंदजो ने सभापतिजी का प्रभावशाली भाषण स्पष्ट और प्रभावपूर्ण रूप से पढ़ा। आप के विद्वता पूर्ण भाषण का Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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