Book Title: Oswal Maha Sammelan Pratham Adhiveshan Ajmer Ki Report
Author(s): Rai Sahab Krushnalal Bafna
Publisher: Rai Sahab Krushnalal Bafna
View full book text
________________
[ १५ ] (२०) सेठ पुखराजजी कोचर-मुः हिंगनघाट
"सम्मिलित नहीं हो सकता। आशा है आपलोग समाज सुधार के कार्य में सफल होंगे।" (२१) सेठ छोटमलजी सुराना-मुः हिंगनघाट
____ "कर्मवश उपस्थित नहीं हो सकता। आप के समाज सुधार के लिये प्रयत्न पूर्ण सफल हो।" (२२) सेठ केसरोमलजी ललवाणो, मंत्री, 'श्वेताम्बर कान्फरेन्स'-मुः पूना।
___ “खेद है उपस्थित नहीं हो सकता। हर प्रकार से सम्मेलन की सफलता चाहता हूं।" ( २३ ) सेठ कोरसी विजपाल-मुः रंगून (बर्मा)
"महासम्मेलन को पूर्ण सफलता चाहता हूं।" (२४) श्रीयुत मंत्रो, 'श्रीओसवाल मंडल'-मुः मंदसोर
“सम्मेलन की हर प्रकार से सफलता चाहता हूं।" (२५) श्रीयुत मंत्रो, 'ओसवाल युवक मंडल'–मुः नैरोबी ( अफ्रिका )
____ "सम्मेलन की हृदय से पूर्ण सफलता चाहते हैं और आशा है यह सम्मेलन ओसवालों को उन्नति का साधन होगा। बालविवाह, वृद्धविवाह, मृतक भोज और कन्याविक्रय के विरुद्ध प्रस्ताव पास होने चाहिये। विधवा विवाह भी समर्थन करना चित होगा।” .
इसके पश्चात् सम्मेलन का कार्य आरम्भ हआ।
पहला प्रस्ताव
यह महासम्मेलन अहिंसा व्रत के व्रती वर्तमान युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष महात्मा गांधी को हार्दिक बधाई देता है और हर्ष प्रकट करता है कि जिस महान् उद्देश्य को लेकर उन्होंने कठिन अनशन व्रत को धारण किया था वह सफल हो गया और उनका जीवन संकट टल गया है।
यह प्रस्ताव सभापति की ओर से रखा गया और इस पर जैन समाज के प्रतिष्ठित विद्वान् पंडित सुखलालजी ने अपने गम्भीर भाषण से अच्छा विवेचन किया जिसका सारांश यह था कि अछूत कहलानेवाले लोगों के साथ दुर्व्यवहार करने से हिन्दू धर्म दूसरों की दृष्टि में कितना गिर गया है और हिन्दुओं की आपस की शक्ति कितनी निर्बल हो गयी है। किसी भी धर्म में अपने भाई को अछत समझने की आज्ञा नहीं है और इस अस्पृश्यता रूपी भयंकर लांछन को दूर करने के लिये अनशन व्रत को धारण कर महात्माजी ने हिन्दू संसार का बड़ा
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com