Book Title: Nitishastra Ke Iitihas Ki Ruprekha
Author(s): Henri Sizvik
Publisher: Prachya Vidyapeeth

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Page 6
________________ नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा/04 परिवर्द्धित संस्करण के सम्बंध में दो शब्द - सन् 1886 ई. में अपने प्रकाशन के बाद से ही यह पुस्तक नीतिशास्त्र के संक्षिप्त ऐतिहासिक सर्वेक्षण की दृष्टि से अंग्रेजी भाषा में एक सर्वोच्च ग्रंथ मानी जाती रही है। यद्यपि इसकी उपयोगिता को बनाए रखने के लिए विगत पचास वर्षों के नैतिक विचारों का एक संक्षिप्त विवेचन भी इसमें जोड़ देना हमें आवश्यक लगा, फिर भी सिजविक के अपने ग्रंथ में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। इस अंतिम अतिरिक्त अध्याय में भी मैंने अपने को (इस युग के) विचारकों की विवेचना शैली से यथासम्भव निकट बनाए रखने का प्रयास किया है। पूर्व अध्यायों की विवेचना के अनुपात को दृष्टिगत रखते हुए उन विचारकों के विचारों को भी संक्षेप में ही प्रस्तुत किया गया है। केम्ब्रिज में नीति-दर्शन के नाईटब्रिज प्रोफेसर के इस अध्याय के प्रथम प्रारूप को मैने पढ़ा और इसके संशोधन के लिए अमूल्य सुझाव भी दिए, फिर भी इसमें प्रस्तुत विचारों के लिए वे उत्तरदायी नहीं हैं। प्रो.जे.एस. मेकेन्जी ने भी इस कार्य के प्रारम्भ में हमें उपयोगी सुझाव दिए हैं। मैं इन दोनों महानुभावों को उनके इस सहयोग के लिए और मेरे स्नातक स्तरीय अध्ययन के समय से उनके द्वारा दिए गए प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद देता हूं। - अलबन डी बिडगेरी - ड्यूक विश्वविद्यालय डरहम एम.सी., यू.एस.ए. जनवरी 1931 ई.

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