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सप्तम सर्ग
स्नानोत्सव के पश्चात् दासियो ने समुद्र विजय कोक हा - महाराज आपको बधाई | आपके उत्तम पुत्र पैदा हुआ है || १ ||
राजा उनके वचनो से ऐसे आनन्दित हुआ मानो उसने अमृत मे स्नान कर लिया हो । अथवा उस जैसे पुत्र के जन्म से किसे प्रसन्नता नही होती ? ॥२॥ तब राजा ने प्रसन्न होकर बधाई देने वाली उन सब चेटियो को वस्त्र, आभूषणो तथा स्वर्ण से कल्पलतामो के समान बना दिया ॥३॥ प्रसन्नता से खिले मुख वाले उसने, जिसका शासन इन्द्र के समान था, तुरन्त अधिकारियो को बुलाकर यह आज्ञा दी ||४||
यादव - कुल रूपी उदयांचल पर पुत्र रूपी सूर्य उदित हुआ है । आप सव सावधान होकर यह सुनें ॥५॥
कारागार में जो वन्दी और बाडे मे जो गायें वन्द हैं, आप मेरी आज्ञा से आज उन सबको छोड दें || ६ ||
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आप पिजरो रूपी कमलो मे वन्द पक्षियों रूपी भोरो को सूर्य की किरणो के समान स्वेच्छाचारी बना दें। (अर्थात् उन्हे मुक्त कर दें ) ॥७॥ " और समूचे नगर में अमारि की घोषणा करें क्योकि सब प्राणियो की रक्षा करने वाला मेरा पुत्र जन्मा है ॥ - ॥
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आप सारे नगर को उत्तम चन्दन से लसलसा, पचरगे फूलो से ऊबड़ खावड और धूप से घूमैला बनाए ॥६॥
'राजा की उपर्युक्त आज्ञा सुनकर प्रसन्न हुए अधिकारी महल से ऐसे चले गये जैसे वन से हाथी ॥१०॥ ॥
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बाहर