Book Title: Mahavira ka Jivan Sandesh
Author(s): Rajasthan Prakruti Bharati Sansthan Jaipur
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur

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Page 13
________________ प्रकाशन का इतिहास स्वर्गीय पूज्य आचार्य काका कालेलकर की पुस्तक 'महावीर का जीवन सन्देश युग के सन्दर्भ में पाठको के समक्ष रखने से पहले इस पुस्तक के प्रकाशन के पूर्व प्रयत्नो के सन्दर्भ मे कुछ गहना आवश्यक है। प्रस्तुत लेखो का सकलन काका साहब के जीवन काल मे बहुत पहले ही तैयार हो चुका था और प्रकाशनार्थभा रतीय ज्ञानपीठ को सोप दिया गया था, किन्तु यह ज्ञानपीठ भगवान् महावीर की अहिंसा, अपरिग्रह व सत्य के विपय मे काका साहव के स्वतन्त्र विचार और शोधपूर्ण दृष्टिकोण को अपने सकीर्ण दृष्टिकोण के कारण झेल न सका एव कई वर्षों तक यह पाण्डुलिपि यो ही पडी रही और अन्न मे व बाद वारस लौटा दी गई । पश्वात् श्री राजकिशन जैन ट्रस्ट दिल्ली वानो ने इप्तको प्रकाशनार्य स्वीकार किया किन्तु यहाँ भी यह सकीर्ण वृत्ति का शिकार रही। श्री डी. आर मेहता, सचिव, राजस्थान प्राकृत भारती सस्थान ने जब इस पाण्डुलिपि का परिचय दिया गया तो उनकी प्रवल उत्कठा रही कि यह पुस्तक सस्थान द्वारा प्रकाशित की जाय । उनके अनुरोध को स्वीकार कर हमने प्रयत्न पूर्वक इस पुस्तक की पाण्डुलिपि को सकीर्ण दलदल की भूमिका से निकालकर श्री मेहता जी को प्रकाशनार्थ प्रदान की। हम मव की यह अभिलापा यी कि इस पुस्तक की भूमिका स्वनामधन्य काका साहव के चिर परिचित सहयोगी-साथी जैनागम वेत्ता तत्त्वा-वेपक पण्डित वेवरदास जीवराज दोसी से लिखवाई जाय । इसके लिये उनसे अनुरोध भी किया गया था जिसे उन्होने 93 वर्ष की वृद्धावस्था मे भी स्वीकार कर लिया था, किन्तु दैव दुर्विपाक से अकस्मात ही 12 अक्टूबर 1982 को अहमदाबाद मे उनका स्वर्गवास हो गया। ऐसी स्थिति मे हमने पुस्तक की प्रस्तावना लेखक के विचार और उनके ध्यवहार से अनुप्राणित गांधीवादी से ही लिखवाना उपयुक्त समझा । इमनिये हम सब साथियो का यही विचार रहा कि अब पुस्तक की प्रस्तावना स्वर्गीय

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