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नमः परमेष्ठिभ्यः । .
श्री सकल कीर्तिदेव विरचित ।
महावीर - पुराण |
( भाषानुवाद )
जिनेशे विश्वनाथाय ह्यनंतगुणसिंधवे । धर्मचक्रभृते मूर्ध्ना श्री वीरस्वामिने नमः ॥ १ ॥
सब संसारी जीवोंके स्वामी अनंतगुणों के समुद्र धर्मरूपी चक्र धारण करनेवाले ऐसे जिनेश्वर श्रीमहावीर स्वामीको मैं नमस्कार करता हूं ॥ १ ॥
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