Book Title: Mahavira Jivan Vistar Author(s): Tarachand Dosi Publisher: Hindi Vijay Granthmala Sirohi View full book textPage 5
________________ छाया वक्तव्य । हमें जिस पुस्तककी बहुत असेंसे आवश्यक्ता प्रतीत होती ‘थी, आज हम उस पुस्तकको हिन्दी भाषामें प्रकट करनेको शक्तिमान हुए हैं । हमे अब यही देखना अवशेष रह जाता है कि हिन्दी मापा भाषी समान इन प्रान्तकोंकी कदर करनेके लिये कितने अंशमें तत्पर है। यदि इस पुस्तकका अधिक प्रचार होगा तो भविष्यमें हम ऐसी अनेक पुस्तकोंको हिन्दी विजय ग्रन्थमाला द्वारा प्रकाशित करेंगे और हिन्दी साहित्यको विस्तारित करनेकी हमारी योजनाओंको क्रमस अमलमें रखते जाएंगे। यहां पर यह उल्लेख करना अनुचित नहीं मालूम होगा 'कि इस ग्रन्थमालाका जन्म किन संयोगों में और कैसे हुआ ? जब पंडित वर्थ मुनिराज हरिसागरजी महाराजा आगमन मारवाड़से सिरोहीमें हुआ तब उनसे हमारे परस्पर यह बात हुई कि हिन्दी भापामें कोई ग्रन्थमाला प्रकाशित की जाय। उनकी सम्मति अनुसार हमने यह कार्य करना शुरू किया जिसमें हमारे विद्वर्य मुनिरान धीरविजयजी महाराजने भी पूरा साथ दिया और इन दोनों भुनिराजोंकी सम्मति अनुसार x हिन्दी संवर्धिनी समिति कायम की। परन्तु यह हमेशा विश्वका अटल नियम है कि अच्छे कार्यमें सदा विघ्न आया करते हैं, और वात भी यही बनी कि हमारे ग्रन्थमालाके सम्पादक और पुस्तकोंके लेखक दोसी ताराचंद्र वीमार हो गये और ये करीब पांच छ महीने बीमार रहे इसी बीचमें - इसके सेक्रेटरीसे Prospootus. और नियम मंगाकर देखे । ' - -Page Navigation
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