________________
महाजनवंश मुक्तावली.
सम्यक्ती देव प्रशन्न होकर, तेरी कामना होणी है तो, पूर्ण करेंगे, राजाने, अपने राज्यमें वह पुण्य कृत्य कराणा प्रारम्भ किया, १२ महिने सम्पूर्ण होनेसे, चक्रेश्वरी देवीनें, आकाशवाणी करी के, हे राजा, पुत्र तो तेरे होगा और दयावन्त, दातार, शूरवीर भी, होगा, परन्तु ब्राह्मण मिथ्यात्वी उसकों, धोखा देकर, मिथ्यात्वी, और भिक्षारी कर देंगे ब्राह्मण यज्ञथम्भ, जहां रोपते हैं, उस थम्भके नीचे अरिहन्तकी मूर्ति गाड देते हैं, जिससे कोई दयाधर्मी देवता देवी वगैरह उस यज्ञको विध्वंस करे नहीं, इस लिए सम्यक्ती देवता तो, उस यज्ञके पासही नहीं फुरकते हैं, ऐसा कह, देवी अन्तर्ध्यान हुई, पुत्र हुआ सुजाण कंवर नाम दिया, सम्पूर्ण ७२ कला सीखके . हुशियार हुआ नवतत्व स्याद्वाद न्याय पढा, पिताने, पुत्रकों कहा, हे पुत्र अपने सुभटोंकों भेज २ कर, कहांई भी हिंसक यज्ञ मत होणे देणा, . लेकिन तूं खुद यज्ञ होता हो, उहां मत जाणा, ऐसी शिक्षा देकर राज्य तिलक देकर, आप अनसन आराधकर स्वर्गवास हुआ अब राजा सुनाण सिंह, जिनेन्द्र देवके, गाम २ में, मन्दिर पूजा धर्मध्यान करता, जैनमुनि
जैन साधर्मीयोंकी भक्ति करता, दयावन्त, कहीं भी जीवोंको कोई मारने नहीं पावै, ऐसी उद्घोषणा कराता हुआ सुखसे सामायक, प्रतिक्रमण, पोसह, दान, शील, तप भावनामें लीन, अपने सामन्तोंकों भेज २ कर, जगह २ हिंसक यज्ञ, ब्राह्मनोंका बंद करा दिया, जैनधर्म श्वेताम्बर और दिगम्बर : दोनोंको समतुल्य गिनता हुआ, जैन ब्राह्मनोंकों लाखों क्रोड़ोंका द्रव्य देता. हुआ हिंसक जीवोंको सजा देता वेदकी हिंसा जगह २ बन्ध करवादी, तीन दिशामें दयाधर्म सर्वत्र फैला दिया, उत्तराखण्डमें, म्लेच्छ मांसाहारि-.. योंकी वस्ती, गुण पचास, बडी राजधानियोंमें, म्लेच्छोंहीकी वस्ती समझ. इस दिशामें धर्मोपदेश नहीं करवाया, अब इस समयमें मांसाहारी ब्राह्मनोंको,.. मांस मिलणा मुशकिल हो गया, पहले तो देवताओंके नामसें, यज्ञके वहानेसें,.. घोड़े वकरेका मांस मिल जाता था, तब काश्मीर देशमें, ब्राह्मनोंने गुप्त सभा-- वेद धर्मी मांसा हारियोंकी सुजाणसिंहके भयसें, इकट्ठी करी, उहां ऐसा भाषण करा ईश्वरका कहा हुआ वेद, उसका जो कर्मकाण्ड अश्वहवन गऊ,