Book Title: Maha Sainik Hindi
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Yogindra Yugpradhan Sahajanandghan Prakashan Pratishthan

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Page 18
________________ Second Proof Dt. 23-5-2017 11 तैयार रखी हुई रिकार्डेड स्पीच सुनता है... उनकी गहरी नाभि की आवाज़ जनरल को आकर्षित और प्रभावित करती है उसे सुनते हुए वह अपनी उस पेरेश्युट हवाई छत्री के पास एक पत्थर पर विचारमुद्रा में बैठता है......) महात्मा गांधीजी की आवाज़ : ( टेइपरिकार्डर से, पश्चाद्भूमि से ) "मैं शांति का आदमी हूँ। मैं शांति में मानता हूँ, लेकिन मैं किसी भी कीमत पर शांति नहीं चाहता। मैं कबर में पायी जानेवाली शांति नहीं चाहता। मैं तो उस शांति को चाहता हूँ कि जो इन्सान के दिल में समाई हुई है, जो सारे संसार के विरोधों के सामने खड़ी है लेकिन जो सर्वशक्तिमान परमात्मा के द्वारा रक्षित है..... ।" • महासैनिक • (जनरल यह सुनकर पास की "गांधी एक शांति चाहक" नामक किताब उठा लेते हैं। उसके पन्ने पलटते हुए वे पुनः टेइप से चालु गांधी-वाणी की ओर एकाग्र होते हैं -) गांधी-वाणी : "हर एक को अपनी शांति भीतर से खोजनी है और सच्ची शांति बाहरी परिस्थितियों से मुक्त रहनी चाहिए........ जनरल : ( टेइपरिकार्डर को बंद करते हुए, एक क्षण रुककर, पास की बाकी की किताबों को एक एक कर हाथ में उठाते हुए और उनके शीर्षक पढ़ते हुए - ) " सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा", “Mahatma”..., “The Last Phase..." "गांधी- एक सेनानी", "गांधी- एक सत्य शोधक", "गांधी- एक शांति के चाहक...", "गांधी के आध्यात्मिक मार्गदर्शक (प्रतिक्रिया के साथ) गांधीएक सेनानी भी और शांति चाहक भी और सत्यशोधक भी एक साथ ये सारी चीजें कैसे हो सकती हैं ? युद्ध और शांति और सत्य.....? - ( टेपरिकार्डर पुनः चालु करता है और एक वाक्य ही सुनकर बंद कर देता है) गांधी-वाणी : "शांति का रास्ता सत्य का रास्ता है । " जनरल : ( दोहराते हुए) शांति का रास्ता सत्य का रास्ता है... शांति का रास्ता सत्य का रास्ता है... - ( सोचते हुए टेइपरिकार्डर बंद है घूमता है। कुछ देर बाद घड़ी देखता है...। बाद में उसकी सेना के मार्शल अपने दो सिपाहियों के साथ जनरल का स्वागत करने आते हैं। हाथ में टार्च है । जनरल को उनके निर्धारित समय के पूर्व पेरेशुट से उतरे हुए वे पाते हैं ।) (11) मार्शल : ( जनरल के प्रति मिलिटरी शिष्टाचार में सॅल्युट करते हुए - )... अगर मैं लेइट पड़ा होऊं - तो मुझे क्षमा करें, मुझे शंका है कि कहीं मेरी घड़ी ने तो मुझे धोखा नहीं दिया ? ( घड़ी ठीक से देखता है, टार्च के प्रकाश में । )

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