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Second Proof Dt. 23-5-2017 25
पार्श्व- गांधी - वाणी (पुरुषस्वर ) :
"नमक का बनाना सिर्फ प्रतीक के तौर पर है। चूँकि देश के गरीब से गरीब आदमी के लिए आज़ादी का आंदोलन जरुरी है, शुरुआत इससे की जाएगी... इस सत्याग्रह में भाग लेनेवाला सत्याग्रही अपने कार्य की सच्चाई में निष्ठा और अपने साधनों की शुद्धि इन दोनों को लेकर काम करेगा । जहाँ साधन शुद्ध होते हैं, वहाँ परमात्मा अपने आशीर्वादों के साथ निःसंदेह हाज़िर रहता है । और इन तीनों का मेल जहाँ होता है वहाँ हार असंभव हो जाती है। एक सत्याग्रही का नाश तब होता है जब वह सत्य, अहिंसा और अंतरात्मा की आवाज़ को भूल जाता है..... ।”
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(वाद्य संगीत )
• महासैनिक •
पार्श्ववाणी - स्त्रीस्वर ( मार्शल चार्ट्स को, जनरल दूर बाहर को देखते सोचते रहते हैं ।)
और सत्य, अहिंसा एवं अंतरात्मा की आवाज़ जैसे इन विशुद्ध साधनरूपा... प्रवाह लिए गांधीजी की सत्याग्रही शांतिसेना रूपी सरिता साबरमती नई दिशा में बहती रही दांडीतट के सागर की ओर - पार्श्वगीत (पुरुषस्वर )
"साबरमती से चला संत एक अहिंसा का व्रतधारी
दुनिया में सन्नाटा छाया, कांपे पृथ्वी सारी...
साबरमती से
कंधे कंबलिया, हाथ में लाठी एक लंगोटी धारी,
चला 'नमक कानून तोड़ने, स्वराज का अधिकारी....
साबरमती से"
पार्श्ववाणी (स्त्रीस्वर ) )
इस संत और उसकी सत्याग्रह रूपी सरिताने जब दांडी के तट पर पहुँचकर अपना विराट रूप विस्तृत किया तब उसके इस नारे की गूँजने ब्रिटिश सल्तनत को हिला दिया -
पार्श्ववाणी (समूहघोष )
"नमक का कानून तोड़ दिया... !'' ( २ )
पार्श्ववाणी ( स्त्रीस्वर )
निर्भयता और अपने विशुद्ध साधनों को लिए इस अहिंसक युद्ध के महासैनिक गांधीजी और उनके सैनिकोंने हँसते-हँसते कैद, मार और मोत सब कुछ स्वीकार किया। इसके परिणामरूप दिनोंदिन देश जागता रहा और १९४२ तक तो उसकी गूंज प्रचंड हो गई... कोटि कोटि कंठों से आवाज़ निकली
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