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Second Proof Dt. 23-5-2017 42
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जनरल : . कोई बात नहीं मार्शल से मिलो और उन शांतिसैनिकों को अपने कैम्प में ही ठहराकर कहा कि उन्हें यहाँ न सत्याग्रह करने की ज़रूरत है, न बलिदान देने की उनकी सेवा और उनके रक्त की अभी और जगह बहुत जरुरत है। उनके आने से पहले ही यहाँ शांति-विचार के आंदोलनों के रूप में शांतिसेना पहुँच चुकी है... फिर भी मिलना चाहें तो उनके लीडर आज शाम पांच बजे की हमारी मिटिंग में आ सकते हैं.... ।
फिल्ड मार्शल : जी अच्छा । (सॅल्युट कर के जाता है ।)
(वाद्यसंगीत)
(जनरल टेइपरिकार्डर चालु करके किताब पढ़ते हुए लेटे रहते हैं। टेइप पर प्रथम पार्श्ववाणी और पार्श्वगीत - शेर सुनाई देते हैं और बाद में वाद्यसंगीत - जनरल के वाद्यसंगीत सुनते और किताब पढ़ते लेटे रहने की अवस्था में ही दृश्य समाप्त होता है। शेर की पंक्ति सुनाई देते ही रंगीन प्रकाश अंधेरे के रूप में रह जाता है और एक कोने में, दीवार एक दीपक जलता रहता है ।)
और बाद में मंद मंद प्रकाश, जो क्रमशः पर के गांधी के उस चार्ट सूत्र के नीचे पार्श्ववाणी : ( टेइप से : पुरुष स्वर )
"अगर मिटाना ही है तो अपने को मिटाओ, अपनी खुदी को मिटाओ... इस प्रकार मिटने मिटाने से शायद कुछ अद्भुत हाथ लग जायेगा और तुम देखोगे कि हकीकत में तुम मिटते' नहीं, 'बनते हो, फूलते-फलते हो... !"
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महासैनिक •
पार्श्वगीत : ( पुरुष स्वर : शेर )
"अगर कुछ मरतबा चाहो, मिटा दो अपनी हस्तीको
कि दाना खाक़ में मिलकर गुले गुलज़ार होता है । कि दाना खाक में मिलकर गुले गुलज़ार होता है'
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( रंगीन के बाद मंद प्रकाश - )
( मंद स्वर, गीत और वाद्य के )
( अंधेरा और दीपक )
( लेटे हुए, पढ़ते हुए जनरल )
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