Book Title: Maha Sainik Hindi
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Yogindra Yugpradhan Sahajanandghan Prakashan Pratishthan

View full book text
Previous | Next

Page 55
________________ Second Proof Dt. 23-5-2017 . 48 • महासैनिक. स्पेइस सॉल्ज़र : मेरा भी यही सवाल है। स्पेइस वॉर के ज़माने में गांधी के संग्राम का ढंग युटोपियन' नहीं है क्या ? जनरल : बहुत अच्छा किया कि आपने यह भी पूछ लिया। जवाब स्पष्ट है कि अगर गांधी उनके समय के विशाल साम्राज्य से लोहा ले सके तो हम भी किसी भी बड़े आक्रमण से टक्कर क्यों नहीं ले सकते ? और यह 'टक्कर' नफरत, हिंसा और घोर कत्ल पर ही आधारित हो यह थोड़ा ही जरुरी है ? क्या इनके बिना संग्राम हो नहीं सकता ? आगे मैंने कहा वैसे विज्ञान के हमारे साधनों के साथ क्या हम अहिंसा को जोड़ नहीं सकते ? हमारी "अवकाशी सेना" को ही "शांतिसेना" के रूप में बदल नहीं सकते ? स्पेइस सॉल्जर : लेकिन हम हमारे अवकाशी शस्त्रों के द्वारा जीत और शांति प्राप्त कर सकें तो? जनरल : हमारी 'जीत' एक तो कायमी नहीं होती, फिर वह दूसरों के लिए 'हार' और 'वैर' का कारण बनी रहती है। रही बात शांति की । हिंसक युद्ध से शांति किसे मिलती है-विजित को? पराजित को? और 'शांति' ही अगर हमारा लक्ष्य है तो वह अशांति' के, हिंसा के, अशुद्ध, साधनों के द्वारा कैसे पायी जा सकती है ? गांधीने ठीक ही कहा है कि हमारे साधन और साध्य दोनों विशुद्ध होने चाहिए... । वह स्वयं ही एक ऐसा शांत, शुद्ध साधनों से लड़नेवाला अद्भुत सैनिक था । उसने अपने अहिंसक युद्धों से यह सिद्ध कर दिखाया । स्पेइस सॉल्ज़र : ऐसा सैनिक कभी हो सकता है ? जनरल : मैं भी इसी सवाल पर उलझा हुआ था अब तक, मेरे प्यारे ! लेकिन अब मैं convince हो चुका हूँ कि ऐसा सैनिक हुआ है, सफलता से हुआ है। इतिहास इसका . गवाह हैं। स्पेइस सॉल्जर : बहुत ही अच्छी बात बताई आपने साहब । आज तो आंखें सचमुच ही खुल रही हैं, नई दिशा दिखाई दे रही है... ( वाद्यसंगीत) मार्शल : जनरल साहब । सचमुच ही हमारी इस 'गलति' से, इस 'हार' से आपने एक नया दर्शन पाया है और हमें करोया है। इन सब साथियों के चहेरों से मैं देख रहा हूँ कि अब आपके इस नूतनदर्शन से संतुष्ट हैं, सब को समाधान है। सब : बिल्कुल सही, बिल्कुल सही । लैफ्टेनन्ट : हम चाहते हैं कि आप हमारे जनरल बने ही रहें और हमारी भूमि और अवकाशी सेनाओं को 'शांतिसेना' के रूप में परिवर्तित कर दें। सब : Exactly, Exactly ! मार्शल : (हँसते हुए) हाँ, फिर हम आपको त्यागपत्र देने नहीं देंगे । (सब हँसते हैं।) (48)

Loading...

Page Navigation
1 ... 53 54 55 56 57 58 59 60