Book Title: Maha Sainik Hindi
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Yogindra Yugpradhan Sahajanandghan Prakashan Pratishthan

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Page 20
________________ Second Proof DL. 23-5-2017 - 13 • महासैनिक . अंक-२ दृश्य : प्रथम स्थान : युद्ध भूमि से दूर सुरक्षित 'ग्राउन्ड कन्ट्रोल स्टेशन' अवकाशी युद्ध का । स्टेशन के पास जनरल का कैम्प । समय : उसी रात्रि के लगभग ११-०० बजे का । (मंच पर का दृश्य जनरल के डेरेवाले कैम्प का है, जिसके निकट वैज्ञानिक साधनों से सज्ज और सुरक्षित ऐसे 'ग्राउन्ड कन्ट्रोल स्टेशन' के अवकाशी युद्ध का लैन्ड फाइटिंग स्पोट' है, जिसका थोड़ा हिस्सा सॅटिंग्स के द्वारा दिखाया गया है। डेरे tent की दो खिड़कियों में से दूसरी ओर, दूर, पश्चाद्भूमि में स्थित टेकड़ियाँ और जंगल दिखाई देते हैं । अंदर के deep stage के हिस्से में दो फीट ऊंचा स्टैज बनाया गया है - स्वप्न दृश्य एवं अन्य दृश्यों के लिए । इसके पीछे सायक्लॉरामा कर्टन की व्यवस्था है। 111 +। समय रात्रि के ११-०० लगभग का होने के कारण अंधकार और प्रकाश यधोचित रूप में समय समय की आवश्यकता के अनुसार रखे जाते हैं - विशेष कर स्वप्नादि दृश्यों में । संगीत एवं अन्य ध्वनियों का भी स्थान स्थान पर समुचित उपयोग है। खिड़की के पास जनरल का पलंग है जिससे कि वह खिड़की से बाहर के स्वप्न एवं अन्य दृश्यों को देख सकता हैं । पलंग के सिरहाने के पास बैटरी का लैम्प (लालटेन), टेइपरिकार्डर, बंडल की वे किताबें, वायरलैस फॉन, कुछ नकशे इत्यादि एक टेबल पर रखे गये हैं । tent की कच्ची दीवारों पर भी एक दो नकशे हैं। जनरल युनिफोर्म उतारकर अपने रात्रिपोशाक में है। खिड़कियों वाली बाजु से दूसरी ओर, कैम्प के बाहर कुछ सैनिक गाईज़ लगातार पहरा दे रहे हैं। कुछ कभी कभी खिड़की से दिखाई देते हैं। पर्दा उठाते समय जनरल व्हाइटफिल्ड पलंग पर पड़े पड़े "गांधी-एक सत्यशोधक" किताब देख रहे हैं। उसके फोटो को देखने के बाद वह बाहर देखता है - खिड़की-से । लैम्प का मंद प्रकाश... पार्श्वभूमि में वाद्यसंगीत : पाश्चात्य : 'हार्प' का ।...) मार्शल : (बॅटरी लालटेन के प्रकाश में "गांधी एक सत्यशोधक" किताब को मोटे से पढ़ते हुए पलंग के पास बैठे)" अपनी छोटी आयु से ही गांधी एक सत्यशोधक थे - पूरे के पूरे । समय के बीतने के साथ वे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में उस युग के कुछ बड़े बड़े सत्यशोधकों के संपर्क में आये । ये महापुरुष थे - थॉरो, टॉलस्टॉय, राजचन्द्र या कवि रायचंदभाई और रस्किन । इन सब में सब से अधिक, स्थायी प्रभाव छोड़ जाने वाले थे श्रीमद् राजचंद्र । उन्हीं से गांधी ने सत्य के और आत्मा के साक्षात्कार के लिए मार्गदर्शन पाया जो कि अहिंसा, प्रेम, (13)

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