Book Title: Maha Sainik Hindi
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Yogindra Yugpradhan Sahajanandghan Prakashan Pratishthan

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Page 22
________________ Second Proof Dt. 23-5-2017- 15 जनरल : (बीच में, उत्सुकता से) क्या नाम था उस व्यक्ति का, मार्शल ? मार्शल : नाम बताते हैं श्रीमद राजचंद्र जनरल : श्रीमद् राजचंद्र ! गांधी के मार्गदर्शक !! अहिंसा और सत्य के उपासक..... ( दूर खिड़की के बाहर खो जाते हैं, कुछ क्षण बाद-) अच्छा आगे पढ़िए, मार्शल ! मार्शल : आप थके हुए हैं; आप को नींद नहीं आ रही क्या साहब ? फिर बड़ी सुबह जल्दी उठना है..... जनरल कोई बात नहीं, आप को कष्ट न हो तो थोड़ी देर पढ़िए, मुझे बड़ा आनंद मिल रहा है... हां, मुझे नींद आ गई तो आप इस लैम्प को बुझाकर सोने चले जायें। (बाहर पहरेदारों के चलने की मंद आवाज़ ) मार्शल : बहुत अच्छा । ( पढ़ते हुए) लिखते हैं • महासैनिक • - ~ 'श्रीमद् राजचंद्र बम्बई में अपने व्यापार कार्य में जो सत्य और अहिंसा का पालन करते थे उसका बल वे इडर की पहाड़ियों के एकांत में ध्यान के द्वारा प्राप्त करते थे । कहते हैं इन्हीं पहाड़ियों पर उनकी अहिंसा की शक्ति सिद्ध हुई थी... जनरल (बीच में) : कौन सी पहाड़ियाँ ? मार्शल (किताब पुनः देखकर) इडर की पहाड़ियां.... जनरल : कहाँ आया यह इडर ? कोई उल्लेख है उसका किताब में ? मार्शल : (खोलकर, किताब में मुँह डाले हुए) है... यह रहा (नक्शा दिखकर ) हिन्दोस्ताँ हं...... के गुजरात प्रांत के साबरकांठा जिले में इडर एक छोटा सा गाँव है। इस गाँव के बाहर पहाड़ियाँ हैं । आखिर की पहाड़ी का नाम है 'घंटीआ पहाड़' वहाँ टब ( तब ) कोई आदमी नहीं रहते थे । रहते थे कुछ बाघ और जंगली पशु... । जनरल (खिड़की से बाहर झांकता हुआ, पलक मारता हुआ, नींद की अवस्था में रहते रहते....) इडर...... घंटीआ पहाड़... वाघ और जंगली जानवर : - मार्शल (आगे पढ़ते हुए ) "श्रीमद् राजचंद्र बिना डर के इन पहाड़ियों की गुफाओं में और शिलाओं पर आकर ध्यान में बैठते थे और शेरों से दोस्ती कर लेते थे । उनके प्रेम और अहिंसा का यह असर था। उन्होंने अपनी एक कविता में लिखा है :- उन्होंने (खान एकाकी विचरतो बळी स्मशानमां वळी पर्वत मां वाघ सिंह संयोग जो.....' ( जनरल को सो गये देखकर मार्शल किताब बंद करते हैं। लैम्प बुझाते हैं और धीरे धीरे वहाँ से चल देते हैं। चारों ओर सन्नाटा छाया रहता है...... ) (15) L

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