Book Title: Maha Sainik Hindi
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Yogindra Yugpradhan Sahajanandghan Prakashan Pratishthan

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Page 26
________________ Second Proof Dt. 23-5-2017 - 19 (जल के बहने की आवाज़ ) कर्दम भूमि कळणभरेली ने गिरिवर केरी कराड, धसमसता जळ केरा प्रवाहो, सर्वे बटावी कृपाळ..... मने पहोचाडशे निज धाम....... ( दूर उषा का मंद प्रकाश : पंछियों का गान ) रजनी जशे ने प्रभात उजळशे, ते स्मित करशे प्रेमाळ दिव्यगणोनां वदन मनोहर मारे हृदय वस्यां चिरकाळ जे में खोयां हतां क्षण वार...... (उषा का प्रकाश अधिक तेजस्वी दिखाई देता है..... प्रवक्तावाणी चलती रहती हैं। कुछ क्षण बाद बालसूर्य पूरब में दिखाई देता है, वह अगली आकृति क्रमशः सूर्य की ओर जाती हुई और सूर्य से मिलती हुई दिखाई देती है - गांधीजी की आकृति का केवल पीठ भाग । वाद्यसंगीत चालु है ) प्रवक्ता - वाणी (स्त्री स्वर) : प्रकाश के इस शोधक को प्रकाश दिखाई दिया, अधिकतर के प्रदेशों को पार कर उसने पूरब में अपने ही वतन, भारत में, सत्य-सूर्य का दर्शन किया । इसी खोज की अभीप्सा उसे अनजाने ही बम्बई की ओर ले गई। उसकी प्रार्थना प्रेमळ ज्योति ने सुनी थी... दूर दूर से उसके आंदोलन इडर की उस पहाड़ी पर पहुँच चुके थे...) (वाद्यसंगीत • महासैनिक • 1 प्रवक्ता - वाणी (पुरुष स्वर ) : इड़र में अपनी चेतना के द्वारा गांधी के आगमन की पूर्वसूचना श्रीमद् राजचन्द्र ने पा ली थी फिर जब वे बम्बई लौटे तब बड़े ही अप्रत्याशित रूप से दोनों की प्रथम मुलाकात हुई एक अहिंसा के जन्मजात उपासक, दूसरे अहिंसा के प्रतिष्ठायक भावी महासैनिक ! अपनी सत्य की खोज के उपक्रम में युवा गांधीने श्रीमद् राजचन्द्र जैसे अहिंसानिष्ठ और सत्यसंपन्न आत्मदर्शी को अपने मार्गदर्शक के रूप में पाया, तो राजचन्द्र ने उनके जैसे आत्मार्थी अभीप्सु को परममित्र के रूप में ! — प्रवक्तावाणी (स्त्री स्वर) फिर गांधी गये अफिका और राजचन्द्र रहे भारत में परन्तु दूर दूर से भी उनके दिशा-दर्शन में गांधी की अहिंसा साधना चली - शोषण, सितम और हिंसा से त्रस्त मानवता के लिए नूतन क्षितिजों को खोजती हुई... । इस बलवती साधना से गांधी में सोया हुआ यह महासैनिक जाग उठा... काले अंधेरे बीहड वनों में मार्ग खोजनेवाला वह अहिंसक शेर संसार के सितमों, अन्यायों और अत्याचारों के सामने दहाड़ उझ ! ठा (शेर की गर्जना, धीर गंभीर आवाज़ में बालसूर्य और आकृति वाले दृश्य का समाप्त होना और शेर की गर्जना के साथ ही जनरल का... नींद से जाग जाना... स्वप्न के दृश्यों और आवाज़ों की ही धुन में । खिड़की के बाहर दूर सूर्यदर्शन प्रभात का वातावरण, पंछियों का थोड़ा-सा भास क्योंकी आवाज़े बंद हैं ।) (19) 1276

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