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हरिस्सहस्यतु ख्याता राजधानी सुमेरूतः ।। उत्तरस्यामन्यज्जम्बू द्वीपे हरिस्सहाभिधाः ॥२०७॥
हरिस्सह शिखर का हरिस्सह नाम के देव की हरिस्सहा नामक राजधानी अन्य जम्बूद्वीप में है, और वह मेरू पर्वत से उत्तर दिशा में है । (२०७).
सहस्राश्चतुरशीतियोंजनानां भवेदिह । व्यासायामावपरं तु तुल्यं चमरचंचया ॥२०॥
इसका विस्तार चौरासी हजार योजन है । शेष सर्व चमरचंचा अनुसार समझना चाहिए । (२०८) .. इमावद्री योजनानां दक्षिणोत्तरमायतौ । ....
त्रिंशत्सहस्रान द्विशती नवोत्तरां सषट्कलाम् ॥२०६॥ . पूर्वापरं च विस्तीर्णो समीपे नीलवगिरेः । शतानि पंच पर्यन्तेऽगुलासंख्यांश विस्तृतौ ॥२१०॥ चतुःशतीं योजनानां गिरेीलवतोऽन्तिके । अभ्युन्नतौ शतमेकमवगाढौ भुवोऽन्तरे ॥२११॥ समीपे मन्दरस्याथ स्यातां पंच शतोन्नतौ । ... निमग्नौ पंच गव्यूतशतानि वसुधान्तरे ॥२१२॥ कलापकं ।।
ये दोनों गन्धमादन और माल्यवान पर्वत तीस हजार दो सौ नौ योजन छः कला दक्षिण उत्तर में लम्बे हैं और नीलवान पर्वत के समीप में पांच सौ योजन पूर्व पश्चिम चौड़े हैं । मेरू पर्वत के पास में अंगुल के असंख्यवै भाग जितना चौड़े है। दोनों नीलवान पर्वत के पास में चार सौ योजन ऊँचे हैं और एक सौ योजन जमीन के अन्दर धंसे है । वे मेरू पर्वत के पास में तो पांच सौ योजन ऊँचे हैं और सवा सौ योजन जमीन में रहे हैं । (२०६-२१२)
नीलवत्पर्वतोपान्ताद्वर्धमानाविमौ कमात् । समुत्सेधावगाहाभ्यां विसतृत्या हीयमानको ॥२१३॥ पूर्वोक्त मान विस्तीर्णोद्विद्धोच्चावुपमन्दरम् । नीलवच्छै लकरिणो दशनाविव राजतः ॥२१४॥ युग्मं ॥ नीलवान पर्वत से चौड़ाई में घटते और ऊंचाई तथा गहराई में बढते मेरू