Book Title: Lilavati Rani ane Sumtivilasno Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 3
________________ उद्दाम, धने करीने हो धनद पण हारीयो ॥ ११॥ सेजलदे अनिधान,सुंदरी तेहनी हो सोहे शीले करी॥ रूपे रंज समान, पातल पेटी हो पीन पयोधरी ॥१॥ अंगज तेहने एक,वये करीन्हानोहोपण गुणे बेवमो॥ सुमतिविलास सुविवेक,रूपे निरुपम हो पुरमा परगडो ॥ १३॥ थोमी तेहने रीस, थोमा बोलो हो थोमो नूख्यो वली ॥ बल बुद्धि बहुल जगीश, शरीर सुकोमल हो कला घणी निर्मली ॥१४॥ बत्रीश लक्षणो बाल, अनुक्रमे भणतां हो यौवनजर थयो ॥ए कही पहेली ढाल,उदय पयंपे हो उदय अधिक लह्यो॥१५॥ ॥दोहा॥ ॥सुमति विलास अति सुघम, चतुर मनोहर चाल ॥ सोवन वान सोहामणो, ढले नारंगा गाल ॥१॥ वेधक विनयी वरणागीयो,जाणे देवकुमार ॥ अवनी उपर अवतस्यो, अद्जुत रूप अपार ॥२॥ चूना चंदन अरगजे, नीनो रहे भरपूर ॥ काया कुंकुम लोलसी, सिंहलंको अति शूर ॥३॥ एक दिन पुरनी शेरीए, सरिखा साथे लेय ॥ नगर जोवाने मीसस्यो, नूषण अंग धरेय ॥४॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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