Book Title: Lilavati Rani ane Sumtivilasno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 2
________________ सखिले हो पूरे वहे सदा ॥ साधे चक्रवर्ती सोय,षट् खंम तेणे हो थाय जाणो मुदा ॥३॥जनपद सहस बत्रीश, वसे ते मांहे हो झछि विराजता ॥ आरज साढा पचवीश, अनार्य अनेरा हो उफत गाजता ॥४॥ ते नरतदेवनी मांहे, कोसंबीपुरी हो वसे कोशे करी ॥ पुरीथी प्राये, अधिकी उपे हो विविध रतने नरी ॥५॥ लांबी जोयण बार, नव जोयण पोहोली हो नित्ये नवनवा ॥ उत्सव थाये अपार, श्रीजिननुवने हो जन जिहां अनिनवा ॥६॥ सरोवर सरिता श्राराम, विधविध वारु हो वृदनी आवली ॥ अवतरीया जेणे गम, बहा जिनवर हो बबी तेणे जलहली ॥७॥ वीरने वांदवा काज, रवि शशी आव्या हो जिहां मूल विमानशु॥सुणजो जन संकेत, जिहां सोहावी हो मृगावती ज्ञानशुं ॥७॥ चउटा चोराशी चंग, हाटनी हारो हो सोहे मनोहारिणी॥आकाशे दीसे उत्तंग, जिहां प्रासादे हो ध्वजा जयकारिणी ॥ ए॥ कनकसेन तिहां राय, राज्य करे बे हो राणी तेहने ॥ सुरसुंदरी सुखदाय, जोवा चाहे हो सुर पण जेहने ॥ १०॥ शेठ सदाफल नाम, वम अधिकारी हो वसे व्यवहारीयो । आवास तेहना Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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