Book Title: Karmasiddhi
Author(s): Premvijay Gani
Publisher: Manchubhai Jivanchandra Zaveri

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Page 6
________________ कर्मसिद्धिः 節 ရှိရာတေ समर्पणम् । क * "शार्दूलविक्रीडितम् ।" *संसारार्णवभव्यशुक्तिहृदये सम्यक्त्वमुक्ताप्रसूः !, सत्प्रेम्णा विबुधान्तिषद्महितपद्वागिन्द्रसद्वाचक ! | स्वःस्थश्रीविजयान्त्यवीरमुनिराट्र ते पाणिपद्मेऽयेते, सत्प्रेम्णा विबुधान्तिषद्महितपद्वागिन्द्रसद्वाचक ! ॥ १ ॥ VARGES

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