Book Title: Karmagrantha Part 1 Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur View full book textPage 4
________________ द्वितीय संस्करण दो शब्द 'कर्मग्रन्थ' जैसे गहन-गम्भीर ग्रन्थ का प्रकाशन करते समय लग रहा था कि ऐसे ग्रन्थों के पाठक बहुत कम ही होते हैं अतः अधिक प्रतियाँ न छापकर १ हजार प्रतियाँ छापी जायें । हमने १२०० प्रतियो छापी और फिर क्रमशः भाग २ से ६ तक का सम्पूर्ण सेट कर्मग्रन्थ एक ही वर्ष में प्रकाशित कर पाठकों के हाथों में पहुँचा दिया ! चार वर्ष की अल्प अवधि में ही प्रथम व द्वितीय भाग पूर्णतया समाप्त हो गया और पिछले एक वर्ष से ही बराबर नये संस्करण की मांग आ रही है। यह कर्मग्रन्थ जैसे जटिल ग्रन्थ की सरल व सुबोध व्याख्या की लोकप्रियता ही समझना चाहिए । अनेक संस्थाओं ने अपने पाठ्यक्रम में भी हमारे इन भागों को स्थान दिया है । विद्यार्थी व जिज्ञासु बड़े चाव से इन्हें पढ़ रहे हैं । यह सब हमारे उत्साह को बढ़ाने वाले प्रसंग हैं। अब पाठकों की मांग के अनुसार कर्मग्रन्थ का यह द्वितीय संशोधित मकरण प्रस्तुत है। कागज-छगाई आदि सभी वस्तुओं की अत्यधिक मंहगाई होते हुए भी भने पाठकों की सुविधा का ध्यान रखकर मूल्म में कुछ भी वृद्धि नहीं की है। आशा है, पाठकों को यह उचति ही लगेगा ___द्वितीय भाग का नया संस्करण भी शीघ्र ही सेवा में प्रस्तुत हो रहा है। -मंत्री श्री मरुधरकेसरी साहित्य प्रकाशन समिति ज्यावरPage Navigation
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