Book Title: Kanhad Kathiyara tatha Mayanrehano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 4
________________ धर राय, वैरी नाज गया वडवाय ॥ न्यायवंत अकरा कर नहिं, जेहनी कीरति समुई कही ॥ए ॥ सुप्रना राणी जेहने सही, रूपें रंज समोवड कही ॥ राजा राणी अविहड प्रेम, दूध नीर पारेवा जेम ॥ १० ॥ पहेली ढाल कही अति सार, राजा नगर तणो अधि कार ॥ मानसागर कहे सुगजो सदु, आगल वात अचंनम कहूँ ॥ ११ ॥ इति ॥ ॥दोहा॥ ॥ ग्राम नगरपुर विचरता, चननाएगी अगगार ॥ विनिता नयरी समोसस्या, साधु तणे परिवार ॥ १ ॥ कीरतिधर अवनीपति, विधिगुं वांदण जाय ॥ वंदण विधियु साचवी, आगल बेठो आय ॥ २ ॥ आगल बेठी परखदा, बेग नगर नरेश ॥ अवसर जाणी या पणो, ये मुनिवर उपदेश ॥ ३॥ ॥ढाल बीजी॥ ॥राग वेराडी॥जलो मन जमरा रे कानम्यो ॥ ए देशी॥ मानवनो नव पामियो, पाम्यो आरज देश ॥ श्रावक, कुल पामियो,पाम्यो गुरु उपदेश ॥१॥ चेतनी चेतन प्राणिया,करे जिन धर्म सार॥ दान शिय ल तप नावना, चारे जग सार ॥ चे० ॥ ॥ का Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 50