Book Title: Kanhad Kathiyara tatha Mayanrehano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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म आइ॥ कामु कारण पडियो थारो ॥ इसडी वेला में आ॥रा ॥ ५१ ॥ फोजां थारी दोनुं राजा रे,ज गडो पड्यो माहोमांहि ।। फोजबंधी तो थे नली की धी, तिणकारण ॥रा ॥ ५५ ॥ बाप मायो मा निकली नागी,गश्तेकिगरी तारो॥ महारी धरती लेने आयो, कही सनमुख जाइ महारो॥ ५३॥ म हारी धरती लेवण आयो, नीच चंमाल घर जायो॥ साथ समान नंणे नेला कीधा, ते कारण हुँ चढी आयो रा॥५४॥ बेटा डो थें राजवीयांरा,बोलो बो ल विचारो ॥ उर थांपर तो कुण चडी पासी, जना बेथारो॥रा० ॥ ५५ ॥ चंजसा तो महोटो मेट्यो, खबर पडी नण सारी ॥ नमी बालक न्हानो जाणी ने, वात कही विस्तारी॥र० ॥ ५६ ॥ वात सुणीने राजा लाज्यो, नीचे मुख करी जोहे ॥ नारी वचन कह्या माताने, राजाने नही सोहेरा॥॥ चंज सायें मनमें जाण्यो,नमीय कुमर महारो जाइ॥ नही स्नेह ने दोय बेटारो,तिण कारण माता यारा॥ ॥ ५ ॥ चंजसा तो मलवा चाल्यो, नमी कुमर साहामो आ॥ हरखनावगुं बांह पसारी, मलीया दोनु नाइ॥रा० ॥ ५५ ॥ एक हाथीपर दोनु बे
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