Book Title: Kanhad Kathiyara tatha Mayanrehano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 38
________________ गुं वातो ॥रा०॥ ३३ ॥ कांकडसीमां बेठा विकाणे, फोजां चढी ने दो ॥ नमिय कुमरनुं लसकर पूबी; चाली मयणरेहा सोई॥रा० ॥ ३४॥ राज कचेरी में राजा बेठा, वात नही विष टालो ॥ प्रूफ लडारी वातां राजाने, उमराव मोतीमालो ॥ रा० ॥३५॥ मयणरेहा सती चरम शरीरी, आप तरी पर तारे ॥ राज सनायुं नेडी ओवी, नजर पडी राजा रे ॥रा ॥३६ ॥ नमीयकुंमर उग्यो सीताबी, विनय कयो ने जारी॥ सात आठ पग साहामो आयने, सतीयां केम पधारी॥रा० ॥३७ ॥ मयणरेहा सती कहे रा जाने, कारण पड्यो थारां जारी ॥ फोजबंधी तो तें नली कीधी, तिणखल परने विचारी ॥रा ॥३॥ महारो हाथी अटवी पडीयो, न देवे चंमालघर जायो ॥साथ सदुने नेलो करीने,तिण कारण चढी यायो॥ राम् ॥ ३ ॥ बाप मास्योने माता जागी, गई किणा रीलारे ॥ महारी धरती लेवण आयो, नीचनो जा यो त्यारे ॥रा ॥ ४० ॥ बेटो थे बो राजवीयारो, बोलो बोल विचारो ॥ थां उपरवली कुण चडीसी, उना ले थारो॥रा ॥४१॥ नमीकुमरतो मनमें जा एयो, माजी दीसे मारी ॥ लाज वाणीने नीचे जो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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