Book Title: Kanhad Kathiyara tatha Mayanrehano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
(४३) सुणीने, परनारी त्यागीजे ॥रा ॥ ७६ ॥ गाम क कडीयें कस्यो चोमासो, संवत चौदोतेरा मांयो॥ कथा कारण आ ढालज कीनी, हर सेवक चित्त लायो । रा॥ ७॥ साधां रे तो मुख सांजलजो,चरित्र मय गरेहारो ॥ तिण उपर कोई अधिको उदो, मिबाउक्क ड महारो॥रा॥॥इति मयणरेहा चोपाई समाप्त॥ ॥ अथ श्रीनारकीर्नु ब ढालीयुं प्रारंन ।
॥ ढाल पहेली ॥ ॥ वर्षमान जिन वीन, साहेब साहस धीरो जी ॥ तुम दरिसण विण हुँ जम्यो, चनगतिमां वडवीरो जी ॥ १ ॥ प्रनु नरक तणां सुःख दोहेलां, में सह्या काल अनंतो जी ॥ सोर कस्यां नवि को सुणे, एक विना जगवंतो जी॥ ॥ प्रचु० ॥ पाप करीने प्रा गीयो, पहोतो नरक मोजारो जी॥कपिन कुनाषा सांजली, नयण श्रवण मुखकारो जी॥ प्रनु० ॥३॥ सीतल योनीयें उपजे,रहे वली ते ठामो जी ॥ जा नु प्रमाणे रुधिरना, कीच कह्या बदु तामो जी ॥ प्र नु० ॥ ४ ॥ तव मनमांहि चिंतवे, जाइये किणदिशि नासो जी ॥ परवस पडियो प्राणीयो, करतो कोडी
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/8e60f5122cdcd4f2e8dc9b5021719b17d1ec7e7be238002993be5225b9eebefa.jpg)
Page Navigation
1 ... 42 43 44 45 46 47 48 49 50